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________________ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) प्रश्नकर्ता : कपड़ा धुल चुका है, ऐसा किसे कहेंगे? दादाश्री : हमें खुद को ही पता चल जाएगा कि मैंने धो दिया। प्रतिक्रमण करते हैं, उस पर से । प्रश्नकर्ता : क्या अंदर खेद रहना चाहिए ? दादाश्री : खेद तो रहना ही चाहिए न ? खेद तो, जब तक इसका निबेड़ा नहीं आ जाए, तब तक खेद तो रहना ही चाहिए। हमें तो देखते रहना है। खेद रखता है या नहीं, ऐसा हमें अपना काम करना है, वह अपना काम करेगा। १८२ प्रश्नकर्ता : यह सब बहुत गाढ़ है । उसमें कुछ-कुछ फर्क पड़ता जा रहा है। दादाश्री : जैसा दोष भरा है वैसा निकलेगा। लेकिन वह बारह साल में या दस साल - पाँच साल में सब खाली हो जाएगा। सभी टंकियाँ साफ कर देगा। फिर शुद्ध ! फिर मज़े करना ! प्रश्नकर्ता : अगर एक बार बीज डल चुका हो तो वह रूपक में तो आएगा ही न ? दादाश्री : बीज डल ही जाता है न! वह रूपक में आएगा, लेकिन जब तक वह जम नहीं गया है, तब तक कम - ज़्यादा हो सकता है। मतलब मरने से पहले वह साफ हो सकता है। कहते हैं न कि विषय कहते हैं कि, 'रविवार इसलिए हम विषय के दोषवाले से के दोष हुए हों, अन्य दोष हुए हों, तो उसे को तू उपवास करना और पूरे दिन वही सोचकर, सोच-सोच करके उसे धोते रहना। आज्ञापूर्वक इस तरह करे न तो कम हो जाएगा ! विषय से संबंधित सामायिक - प्रतिक्रमण... प्रश्नकर्ता विषय-विकार से संबंधित सामायिक प्रतिक्रमण किस तरह करने हैं ?
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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