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________________ १४४ समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पू) के फोर्स की वजह से ऐसा हो रहा होगा, इसलिए फिर पुद्गल के फोर्स को कम कर दें, खाना कम कर दें, उसका कोई रास्ता बताइए। दादाश्री : लेकिन उससे तुझे क्या? तुझे अच्छा नहीं लगता हो तो रास्ता बता सकते हैं। तुझे तो अच्छा लगता है न? प्रश्नकर्ता : ऐसे लगातार अच्छा नहीं लगता। वे विचार आते हैं न, तो थोड़े वक्त के लिए ही अच्छा लगता है। बाद में कहीं ऐसा अच्छा लगता होगा? दादाश्री : नहीं, नहीं। अच्छा लगता है मतलब साइन हो गई न थोड़ी देर के लिए। तू अगर विरोधी हो तो बात काम की। प्रश्नकर्ता : पूरे चौबीस घंटों में मैं विरोधी ही हूँ। लेकिन वे संयोग ऐसे आ मिलते हैं कि विचार फूटें तो एक ज़रा सा, एक मिनट के लिए अच्छा लग जाता है कि ये विचार अच्छे दादाश्री : मिनट के लिए ही लोगों ने शादियाँ कर ली। प्रश्नकर्ता : पूरे दिन मैं ऑफिस में 'दादा, मुझे ब्रह्मचर्य पालन करने की शक्ति दीजिए' ऐसे माँगता ही रहता हूँ। दादाश्री : हाँ, तो माँगता रह न फिर। लेकिन अगर अच्छा लगता है तो उसमें हर्ज नहीं है न! अंदर हैं न, ऐसे व्यापारी हैं न! हर तरह के व्यापारी होते हैं न! नुकसान करें ऐसे व्यापारी! कभी अगर डूब गए तो क्या हर्ज है? प्रश्नकर्ता : लेकिन वह जो आप एक्ज़ेक्ट उदाहरण देते हैं न, कि भाई एक बार तू नदी में डूब जाएगा तो? तो वह सोचने लगता है कि यदि एक बार विषय में स्लिप हो जाऊँगा तो? दादाश्री : नहीं, लेकिन दूसरी बार उसे जागृति रहती है
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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