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________________ [४] विषय विचार परेशान करें तब... वह तो है भरा हुआ माल प्रश्नकर्ता : मुझे व्यापार के कारण बाहर बहुत घूमना पड़ता दादाश्री : हाँ, लेकिन उन संयोगों में हमें सावधान रहना है, वह चढ़ बैठे तो चढ़ने मत देना। वह न्यूट्रल है और हम तो पुरुष है। न्यूट्रल कभी भी पुरुष को नहीं जीत सकता। मांसाहार की दुकान में जाने पर भी विचार नहीं आते, ऐसा क्यों? क्योंकि वह माल नहीं भरा है न! तब फिर हमें समझ नहीं जाना चाहिए कि 'भाई, जो भरा हुआ है वही कूद रहा है। नहीं भरा होगा तो नहीं कूदेगा।' इतना समझ सकते हैं या नहीं? प्रश्नकर्ता : वह ठीक है। लेकिन बहत विचार आते हैं. इसलिए फिर ऐसा लगता है कि अरे! ऐसा सब?! दादाश्री : बाहर लोग शोर मचा रहे हों और हम दरवाज़ा बंद करके बैठे हों एक तरफ, तो कोई झंझट है? अगर हमें उसके साथ व्यवहार ही नहीं करना है तो फिर हम रह सकेंगे। यानी कि वह तूफान आकर फिर पार निकल जाएगा, और तूफान शांत हो जाएगा। बवंडर क्या रोज़ आते हैं? बस दो दिन। पूरे दिन चलता रहे तो भी उसका रास्ता निकालेंगे। ये सब बताते हैं न। इन्हें क्या बवंडर नहीं आते होगे? अब इसे कितने बवंडर आते हैं, लेकिन क्या करे?
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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