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________________ दृढ़ निश्चय पहुँचाए पार (खं-2-३) ११७ तब वह रिज पाइन्ट' कहलाता ___ हर एक चीज़ का उदयास्त होता है, उदय और अस्त। कर्मों का भी और सभी का, उदय और अस्त होता है। सूर्यनारायण का भी उदय और अस्त होता है या नहीं होता? सूर्यनारायण जब सेन्टर में होते हैं, उस स्थिति की तुलना में उदय के समय वे नीचे होते हैं और जब अस्त होते हैं तब भी नीचे होते हैं और बीच में जब बहुत टॉप पर जाते हैं, तब वह 'रिज पॉइन्ट' कहलाता है। उसी तरह हर एक कर्म 'रिज पॉइन्ट' पर पहुँचने के बाद फिर उतर जाता है। वैसे ही जवानी का उदय और जवानी का अस्त होता है। जवानी जब 'रिज पॉइन्ट' पर पहुँचती है, उसी समय सबकुछ गिरा देती है। उसमें से अगर वह पास हो गया, गुज़र गया तो जीत गया। हम तो सबकुछ सँभाल लेते हैं, लेकिन यदि उसका खुद का मन बदल जाए तो फिर उपाय नहीं है। इसलिए हम उसे अभी, उदय होने से पहले सिखाते हैं कि भाई, नीचे देखकर चलना। स्त्री को मत देखना, बाकी सब, जलेबीपकोड़े देखना। तुम्हारे लिए गारन्टी नहीं दे सकते। क्योंकि जवानी है। जवानी 'रिज पॉइन्ट' पर चढ़े, तब फिर क्या परिणाम आएँगे, वह कैसे कह सकते हैं? हालांकि हमारे प्रोटेक्शन में कुछ बिगड़ेगा नहीं, लेकिन सौ में से पाँच प्रतिशत बिगड़ भी सकता है। ऐसे निकलते हैं या नहीं? प्रश्नकर्ता : यानी जब तक हम हमारा 'रिज पॉइन्ट' क्रोस न कर लें, तब तक एकदम जागृति रखनी है? दादाश्री : 'रिज पॉइन्ट' आने में तो बहुत टाइम लगता है। 'रिज पॉइन्ट' आ जाए तब तो बहुत हो गया। फिर भी इसका डर तो ठेठ तक रखने जैसा है। बाद में अपने आप पता चल जाएगा कि सेफ साइड हो गई, हमें ऐसा। प्रश्नकर्ता : क्रोध-मान-माया-लोभ को तीन साल तक आहार नहीं मिले तो वे भूगर्भ में चले जाएँगे, ऐसा इन विषयों में भी है या नहीं?
SR No.030109
Book TitleSamaz se Prapta Bramhacharya Purvardh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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