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________________ [३.१] 'कुछ है' वह दर्शन, 'क्या है' वह ज्ञान ३४५ तो उसका कैसे पता चले? कहेंगे कि 'कुछ है ज़रूर।' सभी एक मत से जवाब देंगे, सभी कहेंगे कि 'कुछ है।' तब हम यहाँ से उठकर गए वहाँ पर, 'ओहो! यह तो बिल्ली है।' तब ये कहते हैं कि 'बिल्ली है।' ये सभी कहते हैं कि 'बिल्ली है।' अर्थात् 'कुछ है' वह भी ज्ञान था और 'यह बिल्ली है' वह भी ज्ञान है, नहीं? इन दोनों में व्हॉट इज द डिफरेन्स? इन दोनों प्रकार के ज्ञान में? तो 'कुछ है,' उस अनडिसाइडेड ज्ञान को दर्शन कहते हैं। उसे देखना' कहते हैं और जो डिसाइडेड है, वह ज्ञान कहलाता है, उसे 'जानना' कहते हैं। अनडिसाइडेड ज्ञान को दृश्य कहा है। डिसाइडेड ज्ञान को ज्ञेय कहा है। यह कुछ है, वह है दृष्टापना है और फिर सभी सहमत हो गए कि यह बिल्ली है तो वह ज्ञातापन है अर्थात् दोनों एक ही हैं। प्रश्नकर्ता : आपने बिल्ली का उदाहरण दिया है न, उसकी आवाज़ भी हम नहीं सुनते हैं, हम देखते भी नहीं हैं, फिर भी कई बार हमें अंदर ऐसी फीलिंग होती है कि 'कुछ है, तो वह क्या कहलाता है? दादाश्री : लेकिन वह 'कुछ है' अर्थात् वह दृश्य ही कहलाता है। जब तक उसका डिसीज़न नहीं आ जाए, तब तक वह दृश्य है। जब डिसीज़न आ जाए, डिसाइडेड, तब तुरंत ही वह उसका ज्ञान हो जाता है। तब तक जाना नहीं कहलाता। __यह जगत् दो प्रकार से है, दृश्य और ज्ञेय व आत्मा दो रूप से है, ज्ञाता और दृष्टा। इस प्रकार अपना यह ज्ञान क्या कहता है कि, 'यह ज्ञेय और दृश्य हैं और आप ज्ञाता-दृष्टा बनकर देखो।' आत्मा तो ज्ञाता-दृष्टा है। अब 'पेट में कहीं दु:ख रहा है, ' ऐसा कहा न, तो वह दृश्य होता है फिर अगर हम ऐसा कहें कि 'कहाँ दु:ख रहा है, यह तो बता?' तब कहता है कि 'यहाँ द:ख रहा है, तब वह ज्ञेय कहलाता है। सभी डॉक्टर कहते हैं कि 'ज़रूर कुछ है तो सही लेकिन निदान नहीं हो रहा है।' निदान का मतलब क्या है? जब ऐसा पूछे तब कहते हैं, 'निदान
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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