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________________ २५० आप्तवाणी-१३ (पूर्वार्ध) कम विषयी होता है ! उसे पैसे की बात आई कि कान तैयार ! आयु के सालों में कमी या बढ़ोतरी होती है, आयु में बदलाव नहीं होता। आयु तो श्वासोच्छ्वास पर आधारित है। अच्छे लोगों का आयुष्य कम अच्छा उपयोग हो और ज़्यादा साल जीए तो काम ही निकाल देगा न। उसे उच्च आयुष्य कहते हैं। प्रश्नकर्ता : मैंने ऐसा सुना है कि जो अच्छे लोग होते हैं, वे जल्दी मर जाते हैं और जो खराब लोग होते हैं, वे पाप करने के लिए बहुत सालों तक जीते हैं, तो क्या यह सही है? दादाश्री : गलत बात है। जिसका आयुष्य कम होता है, वह मर जाता है। आयुष्य किसका कम होता है? जिसने पाप किए हों उसका। जिसने पुण्य किए हों, उसका आयुष्य लंबा होता है। सभी लोग जीने का प्रयत्न करते हैं लेकिन फिर उससे क्या हो सकता है! प्रश्नकर्ता : यों तो संतों की दशा बहुत उच्च होती है फिर भी उनका आयुष्य कम! ऐसा कैसे? दादाश्री : पिछले जन्म में जो कुछ भी कर्म किए थे, उस वजह से। प्रश्नकर्ता : तो फिर उनके जीवन ऐसे उच्च प्रकार के कैसे थे? दादाश्री : वह तो एक तरफ पुण्य भी होता है और दूसरी तरफ पाप भी रहता है। आयुष्य कर्म तो पूरा ही पिछले जन्म में बंध गया था। उसे अभी भोग रहे हैं। डिस्चार्ज होता रहता है। जगत् का पुण्य कच्चा, इसलिए ज्ञानी अल्पायु प्रश्नकर्ता : कृपालुदेव का आयुष्य तैंतीस साल का ही क्यों? ऐसे पुरुषों का आयुष्य तो लंबा होना चाहिए।
SR No.030023
Book TitleAptavani Shreni 13 Purvarddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2015
Total Pages518
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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