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________________ आप्तवाणी-८ ४३ निश्चेतन-चेतन यानी क्या? मूल चेतन की हाज़िरी में जो चार्ज हो रहा है, बाद में वह डिस्चार्ज होता रहता है, उसे निश्चेतन चेतन कहा है। घटक चार्ज हो रहे हैं, इन चार्ज हो चुके घटकों को 'कारण' कहते हैं, कॉज़ेज़ कहते हैं। और जब पूरी ज़िन्दगी के कॉज़ेज़ इकट्ठे होते हैं, और जब मनुष्य मर जाता है तब जो कॉज़ेज़ हैं न, कारण शरीर, वह दूसरे जन्म में कार्य शरीर, 'इफेक्टिव बॉडी' बन जाता है। 'इफेक्टिव बॉडी' यानी इन मन-वचन-काया की तीन बेटरियाँ तैयार हो जाती है और उन में से वापस नये कॉज़ेज़ उत्पन्न होते ही रहते हैं। अतः इस जन्म में मन-वचन-काया डिस्चार्ज होते रहते हैं और दूसरी तरफ़ अंदर नया चार्ज होता रहता है। मन-वचन-काया की जो बेटरियाँ चार्ज होती रहती हैं, वे अगले जन्म के लिए हैं और ये जो पिछले जन्म की हैं, वे अभी डिस्चार्ज होती रहती हैं। 'ज्ञानीपुरुष' नया चार्ज बंद कर देते हैं, तब फिर पुराना डिस्चार्ज होता रहता है। यानी मृत्यु के बाद आत्मा दूसरी योनि में जाता है। जब तक खुद के 'सेल्फ' का 'रियलाइज़ेशन' नहीं हो जाता, तब तक अन्य सभी योनियों में भटकता रहता है। जब तक मन में तन्मयाकार रहता है, बुद्धि में तन्मयाकार रहता है तब तक संसार खड़ा है, क्योंकि तन्मयाकार होने का अर्थ है योनि में बीज पड़ना और कृष्ण भगवान ने कहा है कि योनि में बीज पड़ने से ही यह संसार है। जिसका योनि में बीज पड़ना बंद हो गया कि उसका संसार खत्म हो गया। पंचेन्द्रियाँ, एक जन्म तक ही प्रश्नकर्ता : एक जीव दूसरे खोल में जाता है, वहाँ पर साथ में पंचेन्द्रियाँ और मन वगैरह हर एक जीव लेकर जाता है? दादाश्री : नहीं, नहीं, कुछ भी नहीं। इन्द्रियाँ तो सभी एक्ज़ोस्ट होकर खत्म हो गई। इन्द्रियाँ तो मर गई। यानी कि उसके साथ में इन्द्रिय वगैरह कुछ भी नहीं जाता। सिर्फ ये क्रोध-मान-माया-लोभ ही जाते हैं। कारण
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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