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________________ आप्तवाणी-८ ४१ प्रकार की शक्ति इनमें नहीं है। मनुष्य में सिर्फ चार्ज करने की शक्ति है और वह भी खुद की स्वतंत्र शक्ति नहीं है, वह तो डिस्चार्ज के धक्के से चार्ज हो जाता है। यदि चार्ज करने की इनकी स्वतंत्र शक्ति होती न, तब तो फिर कभी भी कोई मोक्ष में जा ही नहीं सकता था। क्योंकि फिर वह गुनहगार माना जाता और गुनहगार हो गया तो मोक्ष में नहीं जा सकता। यह तो खुद को ऐसा लगता है कि 'मैं कर रहा हूँ।' परन्तु यह डिस्चार्ज के धक्के से हो रहा है, बहुत दबाव आता है तो फिर चार्ज हो जाता है। यानी मुख्यतः अज्ञानता बाधक है। यदि अज्ञानता जाए तो मुक्ति हाथभर की दूरी पर है। कारणों के परिणामस्वरूप परिभ्रमण प्रश्नकर्ता : मृत्यु के बाद आत्मा की कैसी स्थिति होती है? दादाश्री : अभी जो है ऐसी की ऐसी ही स्थिति रहती है। उसकी स्थिति में कोई फ़र्क नहीं पड़ता। सिर्फ, जब यहाँ पर मरता है, तब इस स्थूल देह को छोड़ देता है, और कुछ भी छोड़ता-करता नहीं है। अन्य संयोग साथ में ही ले जाता है। दूसरे कौन-से संयोग? तब कहे, कर्म बाँधे हैं न-वे, फिर क्रोध-मान-माया-लोभ और सूक्ष्म शरीर, वे सब साथ में ही जाता है। सिर्फ यह स्थूल देह ही यहाँ पर पड़ा रहता है। यह कपड़ा बेकार हो गया, इसलिए छोड़ देता है। प्रश्नकर्ता : और दूसरा देह धारण करता है? दादाश्री : हाँ, दूसरा कपड़ा बदलता है सिर्फ, और कोई बदलाव नहीं होता। क्योंकि जब तक अज्ञान है तब तक बीज डालता ही रहता है, बीज डालने के बाद ही आगे चलता है, और ज्ञान होने के बाद में फिर छुटकारा होता है। 'खुद कौन है', इसका भान हो जाए तब छुटकारा होता है। मृत्यु के बाद जन्म और जन्म के बाद मृत्यु है। बस, यह निरंतर चलता ही रहता है। अब यह जन्म और मृत्यु क्यों हैं? तब कहे, 'कॉज़ेज़
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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