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________________ ३ ६ आप्तवाणी-८ अब कोई व्यक्ति हिंसा करे और फिर यदि उसे मन में ऐसा हो कि यह गलत हो रहा है, पछतावा करे तो वैसा आयोजन हो जाता है। फिर तू झूठ बोले और मन में भाव हो कि यह गलत हो रहा है, तो वैसा आयोजन होता है। अब जन्म-मरण का कारण एक ही है, कि 'खुद कौन है?', इसका भान नहीं है वह। सिर्फ यही एक कारण है। जैनों ने कहा है कि रागद्वेष और अज्ञान से बँधा हुआ है और वेदांत ने भी कहा है कि मल, विक्षेप और अज्ञान से बँधा हुआ है। दोनों अज्ञान को स्वीकार करते हैं। तो अज्ञान से बँधा हुआ है, और ज्ञान से छूटेगा। खुद को खुद का ही ज्ञान हो जाए, भान हो जाए कि छूट जाएगा। ...और विधेयक रह गए यहाँ पर जितने आरोपित भाव किए, वे भाव संसारीभाव हैं। और इन संसारी भावों के कारण अन्य सभी पार्लियामेन्टरी मेम्बर इकट्ठे हो जाते हैं। और सभी मेम्बर इकट्ठे होकर फिर 'डिसीज़न' लेते हैं, उससे यह कार्य-बॉडी बनती है। फिर इफेक्ट एन्ड कॉज़ेज़, कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट, इफेक्ट एन्ड कॉज़ेज़, कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट ऐसे चलता रहता है! यह चंदूलाल नाम है न, यह नाम तो इफेक्टिव है या नहीं? कोई कहेगा कि, 'फ़लाने, सिनेमावाले चंदूलाल खराब है!' इतना ही कहा कि आपको इफेक्ट हो जाता है। यह देह इफेक्टिव है या नहीं? यह वाणी भी इफेक्टिव है। आपकी वाणी किसीको इफेक्ट कर बैठती है। और मन भी इफेक्टिव है। मन चंचल हो जाए तो सोने नहीं देता। रात को साढ़े दस बजे बिस्तर बिछाते हैं, 'चंदूलाल सो जाओ', सभी ऐसा कहें, तो चंदूलाल सो जाता है। और फिर अंदर याद आया कि फ़लाने को मैंने पच्चीस हज़ार रुपये दिए हैं, वह उसके पास से अभी तक लिखवाकर नहीं लिया है। वह याद आते ही मन चंचल हुआ कि, फिर नींद नहीं आने देता। अतः मन भी इफेक्टिव है न? यानी ये मन-वचन-काया सब इफेक्टिव हैं। इनसे कॉज़ेज़ उत्पन्न
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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