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________________ २६० आप्तवाणी-८ अनुभवी ही करवाए आत्मानुभव प्रश्नकर्ता : आत्मा का अनुभव कौन-से गुंठाणे (गुणस्थानक) में पहुँचने पर होता है? दादाश्री : आत्मा का अनुभव चौथे गुंठाणे में भी हो सकता है, पाँचवे में हो सकता है और छठे में भी हो सकता है। प्रश्नकर्ता : इस काल में आत्मा का अनुभव हो सकता है या नहीं? दादाश्री : इस काल में आत्मा का अनुभव हो सकता है और लगभग दस-बारह हज़ार लोगों को हो चुका है यह ! 'ये' सब 'यहाँ' बैठे हैं न, इन सभीको आत्मा का अनुभव हैं। 'अनुभवी पुरुष' मिलने चाहिए। तभी आत्मा का अनुभव हो सकता है, नहीं तो नहीं हो सकता। लाख जन्मों तक भी नहीं हो सकता। यह आसान चीज़ नहीं है। यानी कि जब तक अनुभवी पुरुष नहीं मिलते, तब तक काम नहीं हो पाता। जो टिके नहीं, वह आत्मानुभव नहीं प्रश्नकर्ता : आत्मा का वह अनुभव कितने समय तक टिकता है? दादाश्री : हमेशा के लिए टिकता है। एक मिनट, दो मिनट के लिए नहीं। एक मिनट-दो मिनट तो ये सभी चीजें हैं ही न, इस दुनिया में। ये खाने-पीने की सब चीजें यहाँ पर जीभ पर जितने समय तक रहें, उतने समय तक ही अनुभव टिकता है, फिर चला जाता है। फिर अनुभव रहता है? हम मिठाई खाएँ, तो कितनी देर तक अनुभव टिकता है? और इत्र का फाहा डालें तो? दस-बारह घंटे तक टिकता है और आत्मा तो, एक ही बार अनुभव में आया कि हमेशा के लिए टिकता है। हमेशा के लिए अनुभव रहना चाहिए। नहीं तो इसका अर्थ ही नहीं है न! वह फिर 'मीनिंगलेस' बात है। अनुभव के बाद में बरते चारित्र प्रश्नकर्ता : आत्मा बरते और आत्मा अनुभव में आए, इन दोनों में 'डिफरेन्स' क्या है?
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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