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________________ आप्तवाणी-८ १९९ लगाए, वह ठीक है। उसे कोई ऐसा टेढ़ा निमित्त मिल जाए, तो नर्कगति में भी ले जा सकता है या पशुयोनि में भी ले जा सकता है। लेकिन मोक्ष साधे तो काम का प्रश्नकर्ता : मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस देह की साधन के रूप में ज़रूरत है क्या? दादाश्री : मनुष्य देह ही मोक्ष प्राप्ति का सबसे बड़ा साधन है। मोक्ष तो देवगति में भी नहीं हो सकता, जानवरगति में भी नहीं हो सकता, अन्य किसी योनि में नहीं हो सकता। सिर्फ मनुष्य जन्म ही ऐसा है कि उसमें पाँचों गतियाँ खुली हुई हैं। क्या सर्वात्मा का मोक्ष संभव है? प्रश्नकर्ता : सभी आत्मा पूर्ण कक्षा में कब पहुँचेंगे? दादाश्री : सभी आत्मा मोक्ष में चले जाएँगे तो फिर यहाँ पर संसार रहेगा ही नहीं। तो संसार का नाश करने की इच्छा है आपकी? आपकी इच्छा क्या है? प्रश्नकर्ता : आत्मा में तो ज्ञान है, तो धीरे-धीरे वह कक्षा तो आएगी न कि वे मोक्ष में जा सकें? दादाश्री : हाँ, कक्षा आती है। उस कक्षा में आते ही हैं, और मोक्ष में जा ही रहे हैं, लेकिन आप यह बताओ कि पूरे जगत् के सभी आत्मा अगर मोक्ष में चले जाएँ तो इस संसार के नाश की आपने भावना की है कि यह संसार नहीं रहे और यह संसार तो आत्मा के डेवलपमेन्ट की चीज़ है। मूल आत्मा तो 'डेलवप्ड' ही है, 'आत्मा' खुद पूर्ण ही है, लेकिन अभी 'सबकी' ऐसी श्रेणी उत्पन्न हो गई है, कि ये पौद्गलिक मान्यता में रूढ़ हो गए हैं। वे मान्यताएँ हटते-हटते-हटते-हटते मूल चैतन्य स्वरूप की भावना उत्पन्न होगी, तब पूर्णाहुति होगी। प्रश्नकर्ता : यानी कि कोई आत्मा मोक्ष में पहुँच ही नहीं सकता?
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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