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________________ आप्तवाणी-८ बाकी, यदि साहजिक हो न, तो सीधे-सीधे मोक्ष में ही चला जाएगा। देखो, सभी जानवर साहजिक हैं । क्रोध- - मान-माया - लोभ कुछ भी नहीं है ! वह आपको धक्का मारे तो भी उसे क्रोध नहीं है, वह साहजिक है । और वह खाने के लिए उतावले हों, तब भी उसे लोभ नहीं है, साहजिक है। मोक्षप्राप्ति निश्चित काल अनिश्चित ७४ प्रश्नकर्ता : तो हम क्या समझें कि हर एक आत्मा का मोक्ष में जाने का काल निश्चित होता है या फिर किसी आत्मा का निश्चित नहीं भी होता ? दादाश्री : प्रत्येक आत्मा मोक्ष में जाएगा, यह बात पक्की है, लेकिन उसका मोक्ष में जाने का काल निश्चित नहीं होता । मनुष्य जन्म में वह क्या करता है, यह इस पर आधारित है । मनुष्य जन्म में वह उलझनें खड़ी करता है या उलझनें कम करता है या उलझनें बंद करता है, उस पर आधारित है । प्रश्नकर्ता : हर एक आत्मा को मनुष्य जन्म एक ही सरीखे टाइम पर मिलता है? निश्चित समय पर ही मिलता है? दादाश्री : मनुष्य जन्म तो सबको मिलना ही चाहिए । प्रश्नकर्ता: लेकिन वह निश्चित समय पर मिलता है ? : T दादाश्री : हाँ, निश्चित समय पर मिलता है, मनुष्य का जन्म, जो उसकी शुरूआत है, वह निश्चित समय पर मिलती है। और फिर मनुष्य का जन्म मिल गया यानी भटकने के लिए वह स्वतंत्र हो गया ! क्योंकि फिर उलझनें पैदा करना उसके हाथ में आ गया, इसलिए फिर इसके बाद का ठिकाना नहीं है । लेकिन तब तक का रास्ता तो है ही और वह क्लियर कट है। यानी हर एक जीव का मनुष्य के रूप में प्रथम बार जन्म होना, वह बिल्कुल रेग्युलर है, उसके टाइम पर हो ही जाता है । लेकिन बाद में फिर उलझन में पड़ता है ! और उलझता है तो इतना अधिक उलझता है कि बात न पूछो, उसमें तो कितने सारे काल निकल जाते हैं! क्योंकि यहाँ पर मनुष्य में उसमें कर्तापन उत्पन्न होता है और
SR No.030019
Book TitleAptavani Shreni 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages368
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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