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________________ आप्तवाणी-७ ३०६ कि 'नाई नहीं मिला तो क्या करूँगा? नाई हड़ताल पर चले गए तो क्या करूँगा?' जहाँ अभिप्राय, वहीं उपाधि प्रश्नकर्ता : नहीं, लेकिन ऐसा कुछ बातों की तरफ तो दुर्लक्ष रहता ही है I दादाश्री : नहीं, ऐसा है कि जिसका आग्रह नहीं किया उसका कोई विचार नहीं आता और जिसके आग्रह किए हैं, जिसके अभिप्राय बाँधे हैं उसी के विचार आते हैं। इन बालों से संबंधित तुझे कोई अभिप्राय नहीं है, इसलिए ये बाल बढ़े फिर भी तुझे कुछ नहीं होता और घटें तो भी कुछ नहीं होता, यानी उनका विचार ही नहीं आता। कुछ लोगों को तो बाल के बहुत विचार आते हैं । इन स्त्रियों को क्या नाई से संबंधित विचार आते होंगे? उन्हें बाल कटवाने की ज़रूरत ही नहीं है न? यानी उस तरफ के विचार ही नहीं आते। नाई जीए या मरे लेकिन उससे संबंधित विचार ही नहीं आते, ऐसा अभिप्राय ही नहीं है न! यानी जिस तरह के अभिप्राय हमें अधिक हैं, वे ही कचोटते रहते हैं । सही या गलत, उसका थर्मामीटर क्या? प्रश्नकर्ता : हम जो व्यापार करते हैं, उसमें सही-गलत भी करना पड़ता है, तो क्या करना चाहिए? दादाश्री : आपको जितना समझ में आता है, सही और गलत, उतना ही न? या सबकुछ गलत है, ऐसा आपको समझ में आया? प्रश्नकर्ता : सबकुछ तो गलत होता ही नहीं न ! दादाश्री : आपको समझ में आए उतना आप करो। छोटा बच्चा अपने अनुसार करता है और बड़ा अपने अनुसार करता है, हर किसी को जितना समझ में आता है, वह उतना ही सही और
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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