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________________ २४४ आप्तवाणी-७ खुद की भूलें हैं। भूलें अर्थात् ब्लंडर्स और मिस्टेक्स। ये दो ही खुद के ऊपरी हैं। अन्य कोई जगत् में ऊपरी नहीं है। हर एक का जगत् स्वतंत्र है। अपने-अपने कार्यों का जोखिमदार खुद ही है, इसलिए जोखिमदारी समझकर कार्य करना। उकसाने में जोखिम किसे? यह जगत् अपना है, इसमें अन्य किसी की ज़िम्मेदारी है ही नहीं। भगवान यदि ऊपरी होते न, तब तो हम समझें कि 'हम पाप करेंगे और भगवान की भक्ति करेंगे तो धुल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है। यह तो अपनी ही ज़िम्मेदारी है। किंचित्मात्र, एक भी उल्टा विचार आया तो उसकी ज़िम्मेदारी अपनी ही है। होल एन्ड सोल रिस्पोन्सिबल हम ही हैं। ऊपर कोई बाप भी नहीं है। आपका कोई ऊपरी है ही नहीं, जो हो, वह आप ही हो। सिर्फ व्यक्ति के रूप में सब अलग हैं, लेकिन हैं आत्मा ही, यानी कि वे भी भगवान ही हैं। इसलिए किसी का भी नाम मत देना और किसी को परेशान मत करना। हेल्प हो सके तो करना और नहीं हो तो कोई बात नहीं, लेकिन परेशान तो नाम मात्र के लिए भी नहीं करना। लोग बाघ को परेशान नहीं करते, साँप को परेशान नहीं करते, और मनुष्यों को ही परेशान करते हैं, उसका क्या कारण है? बाघ या साँप से तो मर जाएँगे, और मनुष्य तो, बहुत हुआ तो लकड़ी से मारेगा या फिर ऐसा ही कुछ करेगा। इसीलिए मनुष्य को परेशान करते हैं न! किसी को भी परेशान नहीं करना चाहिए, क्योंकि भीतर परमात्मा बैठे हैं, आपको समझ में आती है यह बात? आपने किसी को परेशान किया था क्या? प्रश्नकर्ता : खुद के जो मातहत हों उन्हें लोग परेशान करते tic दादाश्री : जब तक आपको अपने मातहत को कहने की
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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