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________________ भोगवटा, लक्ष्मी का (१३) १९५ हैं कि 'हमारी आर्थिक स्थिति खत्म हो गई।' ऐसा कहते हैं या नहीं कहते? वापस फिर दूसरे साल बरसात आए तब उनकी स्थिति सुधर जाती है। अर्थात् जब आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाए, तब धीरज रखना चाहिए, खर्च कम कर देना चाहिए और किसी भी रास्ते मेहनत और प्रयत्न अधिक करने चाहिए। अर्थात् कमज़ोर परिस्थिति हो तभी यह सब करना चाहिए, वर्ना परिस्थिति अच्छी हो तब तो अपने आप ही गाड़ी चलती रहेगी। क्या अभी बहुत नाजुक स्थिति है? क्या-क्या परेशानी होती है? प्रश्नकर्ता : कोई भी इच्छित चीज़ प्राप्त करनी हो तो देर लगती है। दादाश्री : ओहो! इच्छित चीज़!! लेकिन इस शरीर को कौन सी चीज़ चाहिए, वह आप जानते हो? प्रश्नकर्ता : यों तो भगवान की प्राप्ति ही मुख्य वस्तु है। दादाश्री : भगवान की प्राप्ति के लिए यह शरीर है, लेकिन इसकी ज़रूरतें क्या-क्या हैं? रात को इतनी खिचड़ी दे दी हो, तो आपको पूरी रात ध्यान करने देगा या नहीं? यानी यह शरीर और कुछ नहीं माँगता, बाकी सब तो मन के तूफ़ान हैं! दो टाइम भोजन मिलता है या नहीं मिलता? प्रश्नकर्ता : मिलता है। दादाश्री : इस देह को आवश्यक खुराक ही देने की ज़रूरत है, इसे और किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है। नहीं तो फिर ये त्रिमंत्र रोज़ एक-एक घंटा बोलना न! यह बोलोगे तो आर्थिक परिस्थिति सुधर जाएगी। उसका उपाय करना चाहिए। उपाय करोगे तो सुधर जाएगी। आपको यह उपाय पसंद आया? लक्ष्मी, मेहनत का फल या बुद्धि का? बात को समझनी तो पड़ेगी न? ऐसे कब तक गप्प चलेगी?
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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