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________________ १८६ आप्तवाणी-७ दोनों मुंबई पहुँचेंगे या नहीं पहुँचेंगे? परेशान होनेवाला तो मुंबई आने तक आधा हो चुका होगा। प्रश्नकर्ता : जीवन व्यवहार के संयोगों का सामना करते हुए जो थकान लगती है, उसका कारण क्या यही है? दादाश्री : आपकी खोज सही है! अपने यहाँ लोग गाड़ी में मुंबई से आते हैं और बड़ौदा में उतरते हैं। फिर कहेंगे क्या कि 'मैं बहुत थक गया।' अरे, आप बहुत दौड़े न! पूरी रात दौड़ता रहा इसलिए थक गया न? गाड़ी का किराया दिया, गाड़ीवाला भी कहेगा कि, 'सोते-सोते जाओ।' यदि आपको बैठकर जाना हो तो बैठे-बैठे जाओ, लेकिन आपको जैसे ठीक लगे उस तरह से जाओ। लेकिन फिर भी वह क्या कहेगा कि, 'मैं बड़ौदा जा रहा हूँ।' वह बोलता है, 'मैं जा रहा हूँ' उसी से यह थकान महसूस होती है। सिर्फ साइकोलोजिकल इफेक्ट के कारण ही थकान महसूस होती है। हम तो चैन से बड़ौदा उतर जाते हैं। कोई पूछे कि आपको गाड़ी में थकान हुई? तब मैं कहता हूँ कि, 'मुझे कैसी थकान! मैं तो गाड़ी में बैठा था, फिर वहाँ पर आराम किया। सो गया और गाड़ी में सोते-सोते यहाँ तक आया हूँ।' सभी ने कहा कि, 'बड़ौदा आया, बड़ौदा आया' तब मैं उतर गया। उसमें मुझे क्यों थकान महसूस होगी? यह तो सब गलत मानते हैं कि 'मैं जा रहा हूँ' उसका फिर देह पर असर हो जाता है। अनुभव के बाद रहे सावधानी से कोई व्यक्ति बड़ौदा से मुंबई जा रहा हो, सो जाने का इंतज़ार कर रहा हो और पालघर आए तब गाड़ी में कुछ जगह खाली हो जाए, तो अब यदि वह बिस्तर बिछाए, तब हम नहीं समझ जाएँगे कि यह मूर्ख आदमी है? अभी एक घंटे में तो उतर जाना है फिर यह किसलिए यहाँ बिस्तर लगा रहा है? मुझे ज्ञान नहीं था तब भी मैं कहता था कि, 'बाल सफेद हुए, अब किसलिए
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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