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________________ [१२] कर्तापन से ही थकान मैं जा रहा हूँ या गाड़ी जा रही है? यह तो बगैर उपयोग और जागृति के टाइम बीत जाता है। उपयोगपूर्वक अर्थात् अलर्टनेस होनी चाहिए। ऐसे गप्प लगाए और झोंके खाता रहे, वह सब बगैर उपयोग का कहलाता है, उससे हमें क्या मिला? गाड़ी चल रही हो और गाड़ी में गप्प लगाए, उसके बजाय गाड़ी में अलर्ट रहा जा सकता है या नहीं रहा जा सकता? हमें सेन्ट्रल स्टेशन पर जाकर गाड़ी में बैठ जाना है। ऐसा नहीं कहना है कि, 'मुझे आणंद जाना है।' हमें गाड़ी में बैठ जाना है, गाड़ी आणंद जाएगी। और आणंद स्टेशन पर लोग 'आणंद आ गया, आणंद आ गया' ऐसा बोलेंगे, तब हम आणंद में उतर जाएँगे। गाड़ी आणंद जाती है, तब अपने लोग क्या कहते हैं? गाड़ी में बैठे-बैठे बोलते हैं कि, 'मैं आणंद जा रहा हूँ। फिर मिलेंगे।' 'अरे, तू कहाँ जा रहा है? यह तो गाड़ी जा रही है।' तब भी कहेगा कि, 'नहीं, मैं जा रहा हूँ।' लोगों का व्यवहार ऐसा है। उसे नकार भी नहीं सकते न! गलत भी नहीं कह सकते। लेकिन हमें समझ जाना चाहिए कि 'गाड़ी जा रही है।' हमें ऐसा नहीं बोलना चाहिए कि, 'मैं आणंद जा रहा हूँ।' वर्ना गाड़ी में बैठेबैठे थकान महसुस लगेगी। हमें तो बात को समझ लेना है और गाड़ी में बैठे रहना है। प्रश्नकर्ता : मोटर में जाएँ, तब भी 'मैं जा रहा हूँ' ऐसा नहीं बोलना चाहिए?
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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