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________________ १४२ आप्तवाणी-७ कि, 'मेरे हस्ताक्षर के बिना आप क्यों ले गए?' ये लोग बाद में अर्ज़ी नहीं देते ? और यह सरकार भी कहती है, 'हस्ताक्षर के बिना किसी को कुछ बेचना - करना नहीं, यदि बेचोगे तो आपकी ज़िम्मेदारी ।' हस्ताक्षर कर दे तो कोई कुछ नहीं कह सकता। वर्ना हस्ताक्षर के बिना तो ये लोग टेढ़ा बोलेंगे क्योंकि मूलतः स्वभाव तो टेढ़ा ही है न! पूरा जगत् स्वतंत्र है, कोई भी व्यक्ति परतंत्र नहीं है। यह जो परतंत्रता है, वह खुद की भूलों का परिणाम है । ब्लंडर्स एन्ड मिस्टेक्स। उन दोनों से ही बंधे हुए हो, वर्ना और कोई बाँध सके, ऐसा नहीं है, क्योंकि कोई किसी का ऊपरी है ही नहीं, ऐसा स्वतंत्र है यह जगत् ! मेरा भी कोई ऊपरी नहीं है न! और मुझे तो अनुभव में बर्तता है कि मेरा कोई ऊपरी नहीं है। और आपका भी कोई ऊपरी नहीं है। आपका ऊपरी कौन ? आपके ब्लंडर्स और आपकी भूलें । आत्महत्या छुटकारा नहीं दिलवाती प्रश्नकर्ता : मुझे आत्महत्या करने के खूब विचार आते हैं, तो क्या करूँ? दादाश्री : आप क्यों आत्महत्या करो ? प्रश्नकर्ता : श्रद्धा नहीं बैठती । दादाश्री : किस पर? प्रश्नकर्ता : कोई सज्जन या आपके जैसे कोई रास्ता बताएँ तो श्रद्धा नहीं बैठती । दादाश्री : अच्छा! रोज़ क्या खाता है? प्रश्नकर्ता : रोटी और सब्ज़ी |
SR No.030018
Book TitleAptavani Shreni 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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