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________________ [१०] विषयों में सुखबुद्धि किसे? दादाश्री : आपकी कितनी फाइलें हैं? प्रश्नकर्ता : मेरी तो एक ही फाइल है, वेदनीय की। दादाश्री : अब उस वेदनीय से यदि ऐसा कहो कि, 'यहाँ मत आना।' तब जो वेदनीय आठ फुट ऊँची थी, वह अस्सी फुट ऊँची होकर आएगी। और यदि हम कहें कि तुम जल्दी आओ तो आठ फुट की होगी तो दो फुट की दिखेगी, और जब वेदनीय का काल पूरा हो जाएगा तो वह खड़ी नहीं रहेगी। तब फिर जो हमेशा खड़ी नहीं रहेगी वह तो हमारी 'गेस्ट' कहलाएगी। गेस्ट के साथ तो हमें अच्छा बरताव करना चाहिए न ? संयम रखना चाहिए। आपको क्या लगता है? प्रश्नकर्ता : लगता तो है दादा, परंतु सहन नहीं होता । दादाश्री : यह जो सहन नहीं होता है, वह साइकोलोजिकल इफेक्ट है। तब ‘दादा-दादा' ऐसे नाम लो और अगर ऐसा कहोगे कि 'मुझे सहनशक्ति दीजिए' तो वैसी शक्तियाँ उत्पन्न हो जाएँगी । प्रश्नकर्ता : जब तक पाँच इन्द्रियों के विषयों में सुखबुद्धि है, तब तक उस तरह से निकाल नहीं हो सकता न? दादाश्री : वह सुखबुद्धि आत्मा में नहीं है । जो आत्मा मैंने आपको दिया है, उसमें सुखबुद्धि ज़रा सी भी नहीं है। उसने यह सुख कभी चखा ही नहीं है। यह जो सुखबुद्धि है, वह तो अहंकार में है। सुखबुद्धि रहे, उसमें हर्ज नहीं है। सुखबुद्धि आत्मा की चीज़ नहीं
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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