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________________ आप्तवाणी, तमाम धर्मों का सार! आप्तवाणी की ख्याति दिनोंदिन बहुत बढ़ेगी। पूरे जगत के खुलासे इस में से मिलेंगे।सभी धर्म इन में से प्राप्ति करेंगे, यानी इन आप्तवाणियों में से ये ही लोग तत्व निकाल लेंगे, इसी की ज़रुरत है। आप्तवाणी पढ़कर तो कितने ही लोग कहते हैं कि हमें और कोई धार्मिक पुस्तक पढ़ने की जरुरत नहीं पड़ेगी। यानी इन आप्तवाणियों से ही चलेगा सब कुछ।अपनी पुस्तकें लोगों को बहुत हेल्प करेंगी। इसलिए सभी से कहा है कि एक बार पुस्तकें छपवा दो।छप गई न, अब उन पर से लोग और छापेंगे, परंतु अब यह खो नही जाएगा। ये बातें खोएंगी नहीं अब। -दादाश्री आत्मविज्ञानी ‘ए. एम. पटेल' के भीतर प्रकट हुए दादा भगवानना असीम जय जयकार हो SUN978-93-82125 19789382128356 RTOPrinted intrda
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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