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________________ आप्तवाणी-६ कि तीन फुट ऊपर से डाला होगा तो परिणाम दो फुट के आएँगे। दस फुट के परिणाम सात फुट आएँगे, परंतु ये परिणाम अपने आप बंद हो ही जाएँगे, हम यदि फिर से उसमें हाथ नहीं डालें तो! प्रश्नकर्ता : उस समय ऐसा कहा जा सकता है कि परापूर्व से गलत करता आया है, इसलिए गलत की ओर आकर्षित होता है? । दादाश्री : ऐसा कुछ नहीं है। यह सब 'व्यवस्थित' के ताबे में है। इसलिए उसमें उसका दोष नहीं है। सिर्फ उसे इतना समझ लेना चाहिए कि, 'मैं कौन हूँ।' उतना समझ लिया तब से ही छुटकारे की साँस मिलती है। समझता नहीं है, इसलिए यह सब बंधन होता रहता है। ___ यह अपना 'साइन्स' है। छोटा सा 'साइन्स' है। यदि 'ज्ञानीपुरुष' मिल जाएँ और 'ज्ञान' मिल जाए तो बात छोटी सी है और 'ज्ञानीपुरुष' नहीं मिलते तो कुछ काम नहीं होगा। यदि 'ज्ञानीपुरुष' नहीं मिलें तो (अच्छे कर्म) ऊर्ध्वगति करवाते हैं, पुण्य बंधवाते हैं, परंतु छुटकारा नहीं होता।
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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