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आप्तवाणी-३
कमज़ोर पति पत्नी पर सूरमा। जो अपने संरक्षण में हों, उनका भक्षण किस तरह किया जाए? जो खुद के हाथ के नीचे आया हो उसका रक्षण करना, वही सबसे बड़ा ध्येय होना चाहिए। उससे गुनाह हुआ हो तो भी उसका रक्षण करना चाहिए। ये पाकिस्तानी सैनिक अभी सब यहाँ कैदी हैं, फिर भी उन्हें कैसा रक्षण देते हैं ! तब ये तो घर के ही है न! ये तो बाहरवालों के सामने म्याऊँ हो जाते हैं, वहाँ झगड़ा नहीं करते और घर पर ही सब करते हैं। जो खुद की सत्ता के नीचे हो, उसे कुचलते रहते हैं और ऊपरी को साहब-साहब करते हैं। अभी यह पुलिसवाला डाँटे तो साहब-साहब कहेगा और घर पर वाइफ सच्ची बात कहती हो, तब उसे सहन नहीं होता
और उसे डाँटता है, 'मेरे चाय के कप में चींटी कहाँ से आई?' ऐसा करके घरवालों को डराता है। उसके बदले तो शांति से चींटी निकाल ले न! घरवालों को डराता है और पुलिसवाले के सामने काँपता है ! अब यह घोर अन्याय कहलाता है। हमें यह शोभा नहीं देता। स्त्री तो खुद की साझेदार कहलाती है। साझेदार के साथ क्लेश? यह तो क्लेश होता हो वहाँ कोई रास्ता निकालना पड़ता है, समझाना पड़ता है। घर में रहना है तो क्लेश किसलिए?
साइन्स, समझने जैसा प्रश्नकर्ता : हमें क्लेश नहीं करना हो, परंतु सामनेवाला आकर झगड़े तो क्या करें? उसमें एक जागृत हो परंतु सामनेवाला क्लेश करे तो वहाँ तो क्लेश होगा ही न?
दादाश्री : इस दीवार के साथ लड़े, तो कितने समय तक लड़ सकेगा? इस दीवार से कभी सिर टकरा जाए तो उसके साथ क्या करना चाहिए? सिर टकराया यानी हमारा दीवार के साथ में झगड़ा हो गया, तो क्या हमें दीवार को मारना चाहिए? उसी तरह ये जो खूब क्लेश करवाते हैं, तो वे सब दीवारें हैं ! इसमें सामनेवाले को क्या देखना? हमें अपने आप समझ जाना चाहिए कि यह दीवार जैसी है, ऐसा समझना चाहिए। फिर कोई मुश्किल नहीं।
प्रश्नकर्ता : हम मौन रहें तो सामनेवाले पर उल्टा असर होता है कि इनका ही दोष है, और वे अधिक क्लेश करते हैं।