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आप्तवाणी-३
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ज़िम्मेदारी देश के प्रधानमंत्री की ज़िम्मेदारी से भी अधिक है। प्रधानमंत्री से भी ऊँचा पद है।
प्रश्नकर्ता : सर्टिफाइड फादर-मदर की परिभाषा क्या है?
दादाश्री : अन्सर्टिफाइड माँ-बाप यानी उनके खुद के बच्चे उनके कहे अनुसार चलते नहीं, खुद के ही बच्चे उन पर भाव रखते नहीं, परेशान करते हैं ! तब माँ-बाप अन्सर्टिफाइड ही कहलाएँगे न?
...नहीं तो मौन रखकर 'देखते' रहो एक सिंधी भाई आए थे, वे कहने लगे कि, एक बेटा ऐसा करता है और एक वैसा करता है, उनको कैसे सुधारना चाहिए? मैंने कहा, 'आप ऐसे बच्चे क्यों लाए? आपको छाँटकर अच्छे बच्चे नहीं लाने चाहिए थे?' ये हाफूज़ के आम सब एक ही तरह के होते हैं, वे सब मीठे देखकर, चखकर लाते हैं। लेकिन आप दो खट्टे ले आए, दो बिगड़े हुए लाए, कसैले लाए, दो मीठे लाए, फिर उसके रस में कोई बरकत आएगी क्या? बाद में लड़ाई-झगड़ा करें उसका क्या अर्थ? खट्टा आम लेकर आए फिर खट्टे को खट्टा जानना उसका नाम ज्ञान। खट्टा स्वाद आया, उसे देखते रहना है। ऐसे ही इस प्रकृति को देखते रहना है। किसी के हाथ में सत्ता नहीं है। अवस्था मात्र कुदरती रचना है। उसमें किसी का कुछ चलता नहीं, बदलता नहीं और वापस व्यवस्थित है।
प्रश्नकर्ता : मारने से बच्चे सुधरते हैं या नहीं?
दादाश्री : कभी भी नहीं सुधरते, मारने से कुछ नहीं सुधरता। इस मशीन को मारकर देखो तो? वह टूट जाएगी। वैसे ही ये बच्चे भी टूट जाएँगे। ऊपर से अच्छे खासे दिखते हैं, लेकिन अंदर से टूट जाते हैं। किसीको एन्करेज करना नहीं आता तो फिर मौन रहो न, चाय पीकर चुपचाप। सबके मुँह देखता जा, ये दो पुतले कलह कर रहे हैं, उन्हें देखता जा। यह अपने काबू में नहीं है। हम तो इसके जानकार ही हैं।
जिसे संसार बढ़ाना हो उसे इस संसार में लड़ाई-झगड़ा करना चाहिए, सभी करना चाहिए। जिसे मोक्ष में जाना हो उसे हम, 'क्या हो