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________________ संयोग विज्ञान २५५ है, लेकिन उसमें तू कौन और यह सब क्या है? अन्य सभी संयोग हैं। तो फिर तू कौन है? उसका पता लगा! जब बीमार होता है तब, उसे ठीक करनेवाले संयोग हैं और उसे अधिक बीमार करें, वे भी संयोग हैं। ठीक करनेवाली दवाई भी उसे अधिक बीमार कर देगी, यदि अधिक बीमार पड़ने के संयोग होंगे तो। एक कमज़ोर संयोग मिलता है तो सभी कमज़ोर संयोग मिलते जाते हैं। अकाल का संयोग आए, तो साथ में भैंस मर जाती है, तो फिर कमज़ोर पर कमज़ोर संयोग आते हैं। यदि ये सभी संयोग हैं तो तू कौन है? ये संयोग निरंतर समसरण होते ही रहते हैं, उसका आपको एक उदाहरण देता हूँ। शाम के पाँच बजे आप जा रहे हों, तो सामने बादल आ गया हो, तो वह दिखता है, लेकिन फिर थोड़ी ही देर में एक बादल में इन्द्रधनुष दिखाई देता है, तो वह किसने बनाया? पहले वह क्यों नहीं था? क्योंकि बादल हैं, किसी खास जगह पर सूर्य है, तो वे उस प्रकार से सभी संयोग इकट्ठे हो जाते हैं और फिर हम किसी खास जगह पर हो तभी इन्द्रधनुष दिखता है! आत्मा और संयोग दो ही हैं, लेकिन उन संयोगों में आत्मा उलझ गया है। उलझन, वह भी आत्मा का स्वाभाविक गुण नहीं है, लेकिन उपाधि के भाव से है। अब संयोग आत्मा से निरंतर रगड खाते ही रहते हैं और फिर वे स्पर्श से चार्ज हो जाते हैं, और वे ही अगले जन्म में डिस्चार्ज होते हैं। 'ज्ञानीपुरुष' यदि मिल जाएँ तो वह जो चार्ज होनेवाली आपकी बेटरी है उसे आठ फीट दूर रख देते हैं। इसलिए चार्ज बंद हो जाता है और फिर संसार बंद हो जाता है! जो अनुकूल संयोग हैं वे फूड(भोजन) हैं और प्रतिकूल संयोग हैं वे विटामिन हैं। इसलिए हम कहते हैं कि विटामिन को व्यर्थ ढुल जाने मत देना। स्थूल संयोग, सूक्ष्म संयोग और वाणी के संयोग पर हैं और पराधीन हैं
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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