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________________ करेंगे? खुद की कल्पना से ध्येय निश्चित करके ध्यान करने से दिन कैसे बदलेंगे? समाधि किसे कहा जाता है? नाक दबाकर या हठयोग से समाधि करते हैं, उसे? ना, वह तो हैन्डल समाधि कहलाती है। जब तक हैन्डल मारा तब तक चला, फिर वह समाधि उतर जाती है। ऐसी समाधि से क्या मोक्ष होता है? समाधि तो उसे कहते हैं कि चलते-फिरते, अरे! लड़तेझगड़ते हुए भी समाधि नहीं जाए, वह है 'यथार्थ समाधि'। जहाँ आधि, व्याधि, उपाधि (बाहर से आनेवाला दुःख) नहीं हो, वह 'यथार्थ समाधि' कहलाती है। मन क्या है? मन को तो सिर्फ 'ज्ञानीपुरुष' ही पहचान सकते हैं। जो मन से निरंतर परे रहकर उसके ज्ञाता - दृष्टा रहते हैं, ऐसे पूज्य दादाश्री ने यथार्थ मनोविज्ञान प्रकट किया है । मन गाँठों से बना हुआ है। जब बाह्य, या आंतर संयोग प्राप्त होते हैं, तब मन की गाँठें फूटती हैं। जो कोंपल फूटती है, रूपक में आती है, वह विचार अवस्था कहलाती है । विचार आते हैं और जाते हैं, आत्मा खुद उसका ज्ञाता - दृष्टा है । मन, वह ज्ञेय है और आत्मा ज्ञाता है। कुछ लोग कहते हैं कि, 'मेरा मन निकाल दीजिए।' मन निकाल लें तो ‘एब्सेन्ट माइन्डेड' हो जाएगा। मोक्ष में जाने के लिए मन ज़रूरी है। मन तो नाव है। मनरूपी नाव के बगैर संसार सागर में से मोक्षरूपी किनारे तक कैसे जा सकते हैं? कुछ कहते हैं, 'मन भटकता है।' मन इस शरीर से बाहर कभी भी नहीं भटकता, जो भटकता है वह चित्त है। बुद्धि पर प्रकाश है, इन्डायरेक्ट प्रकाश है । आत्मा का डायरेक्ट प्रकाश है। आत्मा स्व पर प्रकाशक है । बुद्धि की परिभाषा क्या है? ‘पूरे जगत् के सभी सब्जेक्टस् जानें, वे भी बुद्धि में समा जाते हैं, क्योंकि वह अहंकारी ज्ञान है और निरहंकारी ज्ञान, वह ज्ञान है ।' - दादाश्री जहाँ ज्ञानसूर्य प्रकाशमान हो, वहाँ बुद्धिरूपी दीये की क्या ज़रूरत ? बुद्धि का स्वभाव संताप करवाने का है। ज्ञानी अबुध होते हैं, बुद्धि नाम 27
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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