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________________ जगत् - पागलों का हॉस्पिटल २३३ ____ भगवान के समय में लोग बहुत नाजुक थे, इसलिए भगवान बहुत सँभल-सँभलकर बोलते थे। गायों का झुंड हो और एक ही आवाज़ दें तो भाग जाएँ, तब क्या ज़्यादा बोलना पड़ेगा? ना। तो भगवान के काल में ऐसे लोग थे। इसलिए भगवान ने बस भ्रांति कहकर छोड़ दिया। और कुछ गायें तो चारा लेकर जाओ तो भी हिलती नहीं हैं, उन्हें मेन्टल कहना पड़ता है। और ये लोग भी मेन्टल ही हैं न? घर का खाते हैं, घर के कपड़े पहनते हैं और चिंता करते हैं ! घर का किसलिए खाते हैं? अंत:करण शांत रहे इसलिए। अंत:करण शांत किसलिए रखना है? तब कहे, पागलपन कम करने के लिए। लेकिन यह तो घर का ही खाते हैं और चिंता करते हैं। यह तो पैन्ट पहनकर कूल्हा 'थपथपाते' रहते हैं। कोई बाप भी तुझे देखने के लिए फालतू नहीं है। वे भी अपनी चिंता में ही होते हैं, वे खुली आँखों से भी तुझे नहीं देख पाते। तू तो फटे हुए कपड़े पहनकर भी जाए न, तो भी तुझे देखने के लिए कोई फालतू नहीं है। ऐसा सुंदर मुंबई शहर, वहाँ पैन्ट को पीछे से थपथपाता रहता हैं ! यह मुंबई कितना सुंदर शहर है ! चमचमाते सुंदर रास्ते! भगवान के काल में तो चलते-चलते दम निकल जाता था। अभी तो भोगने में कितना मज़ा आता है! फिर भी कोई भोगता नहीं है! मुंबई में तू गेरुआ कपड़ा पहनकर जाए न तो भी तुझे देखने के लिए कोई बेकार नहीं बैठा है। उनके साथ हमेशा बैठनेवाला फ्रेन्ड हो न, वह भी हिसाब लगाएगा कि लगता तो है सात जैसा, लेकिन उसके साथ में नौ है, इसलिए अपना फ्रेन्ड नहीं हो सकता, होगा दूसरा कोई और ! हिन्दुस्तान - २००५ में वर्ल्ड का केन्द्र जगत् मेन्टल हॉस्पिटल क्यों बन गया है? क्योंकि संस्कृत भाषावालों को बहुत विकृत सिखलाया गया। संस्कृत भाषावालों को प्राकृत चला सकते हैं, लेकिन विकृत तो कर ही नहीं सकते। विकृत भाषा आई इसलिए यह मेन्टल हॉस्पिटल बन गया। लेकिन इस हॉस्पिटल में जो लोग मेन्टल हुए हैं न, उनके पेट से जो बच्चे पैदा होंगे, वे समझदार होंगे, सचमुच में समझदार होंगे। इसलिए ये जो मेन्टल लोग जी रहे हैं, वह अच्छा है। उनके बच्चे समझदार निकलेंगे। बाल बढ़ाएँगे, ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे, लेकिन अंत
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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