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________________ २२२ आप्तवाणी-२ लिए एक समय निश्चित कर दिया जाए तो बहुत ही अच्छा। घर में यदि एक ही क्लेश हो जाए तो पूरा वातावरण बिगड़ जाता है। लेकिन यह आरती उसकी प्रतिपक्षी है। उससे क्या होता है? कि वातावरण सुधर जाता है, शुद्ध और पवित्र हो जाता है। आरती के समय हम आप सब पर जो फूल डालते हैं, वे हम पहले देवताओं को चढ़ाते हैं और फिर वही फूल आप पर डालते हैं! जगत् में किसी को भी देवों को चढ़ाए गए फूल नहीं चढ़ते, ये तो आपको ही चढ़ते हैं। उससे मोक्ष तो रहता है और ऊपर से आपको संसारी विघ्न नहीं आते। आत्मस्वभाव तो संग में रहने के बावजूद भी असंगी है। उस पर कोई दाग़ नहीं लगता, लेकिन जब 'ज्ञानीपुरुष' मिलें और असंग आत्मज्ञान मतलब कि दरअसल आत्मा प्राप्त करवा दें, तब। नहीं तो इस संसार में तो जो-जो क्रिया करेगा, उसका मैल चढ़े बिना रहेगा ही नहीं और मोक्ष मिलेगा नहीं। इसलिए जा, पहुँच जा 'ज्ञानीपुरुष' के पास।
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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