SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७२ आप्तवाणी-२ मोक्ष में ले जाने के लिए नहीं हैं, लेकिन वह तो बैर रोकने के लिए भगवान के वहाँ का फोन है। प्रतिक्रमण में कच्चे पड़े तो बैर बंधेगा। जब भूल समझ में आए, तब तुरंत ही प्रतिक्रमण कर लो। उससे बैर बंधेगा ही नहीं। सामनेवाले को बैर बाँधना हो तब भी नहीं बंधेगा क्योंकि हम सामनेवाले के आत्मा को सीधे ही फोन पहुँचा देते हैं। व्यवहार निरुपाय है। सिर्फ, यदि आपको मोक्ष में जाना हो तो प्रतिक्रमण करो। जिसे 'स्वरूप ज्ञान' नहीं हो, उसे व्यवहार को व्यवहार स्वरूप ही रखना हो तो सामनेवाला उल्टा बोला वही करेक्ट है, ऐसा ही रखो, लेकिन मोक्ष में जाना हो तो उसके प्रतिक्रमण करो, नहीं तो बैर बंधेगा। निःशेष व्यवहार से हल भगवान ने क्या कहा है कि, 'एक व्यवहार है और दूसरा निश्चय है।' व्यवहार का तो नि:शेष भागाकार हो रहा है, नहीं तो हल कहाँ से आएगा? निरंतर व्यवहार को व्यवहार में रखना है और निश्चय को निश्चय में रखना है। व्यवहार में तो, जितना होगा उतना तो सामने आएगा ही न? व्यवहार तो, आप जितना व्यवहार लेकर आए हो, उतना नक़द ही देता है। व्यवहार क्या कहता है? नियमानुसार अठारह देने चाहिए और आठ ही क्यों दिए? क्योंकि आठ का ही व्यवहार था इसलिए आठ दिए ताकि व्यवहार शून्य हो जाए, पिछले कर्म शून्य हो जाएँ। लेकिन अगर 'ज्ञानीपुरुष' ने ज्ञान दिया हो तो चार्ज नहीं होता, नहीं तो चार्ज हो जाता है। व्यवहार यानी दोनों की बातें शून्यता लाएँ, वह। स्थूल कर्म, पंचेन्द्रियों से दिखनेवाले, अनुभव में आनेवाले कर्म शून्यता को प्राप्त करें, वह व्यवहार है। स्वरूप के अज्ञानी में वह चार्ज करके जाता है और हमने जिन्हें ज्ञान दिया हो, जिसे स्वरूप का भान हुआ हो उसका तो डिस्चार्ज हो जाता है और नया चार्ज नहीं होता। डिस्चार्ज किसी भी प्रकार का हो, लेकिन वह, जैसा सामनेवाले का व्यवहार होगा वैसा ही डिस्चार्ज होगा। कुछ लोग ऐसे होते हैं कि आप उपकार करो फिर भी वे अपकार करते हैं ! उसमें न्याय करने जाओगे तो पागल बनोगे। सरकार, वकील सभी
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy