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________________ जगत् व्यवहार स्वरूप १६९ किसी व्यक्ति ने गाली दी, तो वह क्या है? उसने तेरे साथ का व्यवहार पूर्ण किया। सामनेवाला जय-जय करे या गालियाँ दे, वह आपके साथ का सारा व्यवहार ही ओपन करता है। वहाँ पर व्यवहार को व्यवहार से भाग लगा देना चाहिए और व्यवहार एक्सेप्ट करना चाहिए। वहाँ तू बीच में न्याय मत लाना, न्याय लाएगा तो उलझ जाएगा। प्रश्नकर्ता : और यदि हमने कभी गाली दी ही नहीं हो तो? दादाश्री : यदि गालियाँ नहीं दी हों तो सामने गाली नहीं मिलेगी। लेकिन यह तो आगे-पीछे का हिसाब है, इसलिए दिए बगैर रहेगा ही नहीं। बहीखाते में जमा रहेगा, तभी आएगा। किसी भी तरह का इफेक्ट आया, वह हिसाब के बगैर नहीं हो सकता। इफेक्ट, वह कॉज़ेज़ का फल है। इफेक्ट का हिसाब, वही व्यवहार है। वाणी, सामनेवाले के व्यवहाराधीन व्यवहार किसे कहते हैं? नौ को नौ से भाग लगाना, यदि नौ में बारह का भाग लगाएँ तो व्यवहार कैसे चलेगा? न्याय क्या कहता है? नौ में बारह का भाग लगाओ। वहाँ वापस उलझ जाता है। न्याय में तो क्या बोलता है कि, 'उन्होंने ऐसा-ऐसा बोला, तो आपको ऐसा-ऐसा बोलना चाहिए।' लेकिन आप एक बार बोलते हों, तब वह दो बार बोलता है। आप दो बार बोलोगे तो सामनेवाला दस बार बोलेगा। ये दोनों लटू घूमेंगे, उतना ही व्यवहार है। इन दोनों का बोलना बंद हो गया तो व्यवहार पूरा हो गया, व्यवहार निःशेष हो गया। व्यवहार अर्थात् जो शेष नहीं बचे, वह। इसमें यदि आपको मोक्ष में जाना हो तो तुरंत ही प्रतिक्रमण करो। आपको नहीं बोलना हो, फिर भी मुहँ से निकल जाता है न! उस सामनेवाले का व्यवहार ऐसा है, उसी आधार पर निकलता है। किसी-किसी जगह पर जाँच करके देखना। कोई व्यक्ति आपका नुकसान कर रहा हो तब भी उसके लिए आपकी वाणी उल्टी नहीं निकलती और किसीने आपका ज़रा भी नुकसान नहीं किया हो, फिर भी आपकी वाणी उल्टी
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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