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________________ कुदरती नियम : 'भुगते उसी की भूल' भगवान का नियम तो क्या कहता है कि जिस क्षेत्र में, जिस काल में, जो भुगतता है, वह खुद ही गुनहगार है। उसमें किसी को भी, वकील को भी पूछने की ज़रूरत नहीं है। यदि किसी की जेब कट जाए तो जेबकतरे की परिणति आनंद की होती है, वह तो जलेबी खा रहा होता है, होटल में चाय-पानी और नाश्ता कर रहा होता है और उस समय वह व्यक्ति जिसकी जेब कटी है, वह भुगत रहा होता है। इसलिए भुगतनेवाले की भूल। उसने कभी न कभी चोरी की होगी, इसलिए आज पकड़ा गया, इसलिए वह चोर है, और जेबकतरा तो जब पकड़ा जाएगा तब चोर कहलाएगा। 'भुगते उसी की भूल,' यह 'गुप्त तत्व' कहलाता है। यहाँ बुद्धि थक जाती है। जहाँ मतिज्ञान काम नहीं करे, वह बात 'ज्ञानीपुरुष' से जानने को मिलती है। वहाँ पर यह यथास्वरूप मिलती है। इस गुप्त तत्व को बहुत गहनता से समझना चाहिए। कोई बाप भी ऊपरी नहीं है, कोई डाँटनेवाला नहीं है। लेकिन ये तो तेरी गाँठे ही तेरी ऊपरी हैं। भूल अन्य किसी की नहीं है। भुगते उसी की भूल है। डॉक्टर ने मरीज़ को इंजेक्शन दिया, फिर डॉक्टर घर जाकर आराम से सो गया। और मरीज़ को तो सारी रात इंजेक्शन दु:खता रहा, तब उसमें भूल किसकी? मरीज़ की। और डॉक्टर तो, जब उसकी भूल भुगतेगा तब उसकी भूल पकड़ में आएगी। दो प्रकार की भाषाएँ हैं : एक भ्रांति की भाषा और दूसरी वीतराग भाषा। वीतराग की भाषा 'भुगते उसी की भूल।'
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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