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________________ सहज प्राकृत शक्ति देवियाँ १०१ ___ भगवान क्या कहते हैं कि, 'तेरा धन होगा न, तो तू पेड़ उगाने जाएगा और तुझे मिल जाएगा। उसके लिए जमीन खोदने की ज़रूरत नहीं है।' इस धन के लिए बहुत माथापच्ची करने की ज़रूरत नहीं है। बहुत मज़दूरी से तो मात्र मजदूरी का धन मिलता है। बाकी, लक्ष्मी के लिए बहुत मेहनत की ज़रूरत नहीं है। यह मोक्ष भी मेहनत से नहीं मिलता। फिर भी लक्ष्मी के लिए ऑफिस जाकर बैठना पड़ता है, उतनी मेहनत करनी पड़ती है। गेहूँ उगे हों या नहीं उगे हों, फिर भी तेरी थाली में रोटी आती है या नहीं? 'व्यवस्थित' का नियम ही ऐसा है! जिसे हम याद करते हैं, वह दूर होता जाता है। इसलिए लक्ष्मी जी को याद नहीं करना चाहिए। जिसे याद करें वह कलियुग के प्रताप से रूठता जाता है, और सत्यग में वह याद करते ही आ जाता है। लक्ष्मी जी जाएँ तब ‘आइएगा' और आएँ तब ‘पधारिए' कहना होता है। वह कोई थोड़े ही भजन करने से आती है? लक्ष्मी जी को मनाना नहीं चाहिए। सिर्फ स्त्री को ही मनाना चाहिए। ऑनेस्टी इज द बेस्ट पॉलिसी और सत्य कभी भी असत्य नहीं बनता है। लेकिन श्रद्धा डगमगा गई है और काल भी ऐसा है। रात में किसकी सत्ता होती है? चोरों का साम्राज्य होता है। तब यदि अपनी दुकान खोलकर बैठें, तब तो वे सब उठा ले जाएँगे। यह काल तो चोरों का है। उससे क्या हमें अपनी पद्धति बदल देनी चाहिए? सुबह तक दुकान बंद रखो, लेकिन अपनी पद्धति तो नहीं ही बदलनी चाहिए। ये राशन के नियम हों, उसमें कोई 'पोल' (गड़बड़,गफलत,घोटाला) मारकर चलता बने, तो वह लाभ मानता है, और दूसरे क्यों नहीं मानते? यह तो, यदि घर में सभी असत्य बोलें तो किस पर विश्वास करें? और यदि एक पर विश्वास करें, तब तो सभी पर विश्वास करना चाहिए न? लेकिन यह तो घर में विश्वास, वह भी अंधा विश्वास करता है। किसी की सत्ता नहीं, कोई कुछ कह सके, ऐसा नहीं है। यदि खुद की सत्ता होती तब तो कोई स्टीमर डूबता ही नहीं। लेकिन ये तो लट्र हैं, प्रकृति नचाए वैसे नाचते हैं। पर-सत्ता क्यों कहा है? अपने को पसंद हो वहाँ भी ले जाता है और नहीं पसंद हो, वहाँ
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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