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________________ (196) 5. इंद्रियनिग्रह-पाँचों इन्द्रियों पर निग्रह (संयम-काबू) रखना 25 प्रतिलेखना-वस्त्र के तीन विभाग करके प्रत्येक विभाग को ऊपर नीचे, मध्य में दृष्टि से देखे, 3x3 = 9 प्रकार, वस्त्र की दूसरी तरफ 9 बार = 9+9 = 18 प्रकार, शंका रहे तो आगे के तीन पीछे एवं 1 शुद्ध उपयोग रखना, इस प्रकार 25 प्रकार की प्रतिलेखना 3. गुप्ति-मन गुप्ति, वचन गुप्ति, काय गुप्ति 4. अभिग्रह-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से चार प्रकार का अभिग्रह। इस प्रकार करण सित्तरी के धारक उपाध्याय हैं। चरणसितरी चरण = चारित्र के 70 भेद हैं। 5 महाव्रत, 10 प्रकार का श्रमणधर्म, 17 प्रकार का संयम, 10 प्रकार का वैयावृत्य, 9 ब्रह्मचर्य की गुप्ति, तीन ज्ञानादिरत्न, 12 प्रकार का तप, 4 कषाय का निग्रह ये 70 चरणसितरी के भेद हैं। 5 महाव्रत = प्राणातिपात विरमण, मृषावाद विरमण, अदत्तादान विरमण, मैथुन विरमण 5. परिग्रह विरमण। 10 श्रमणधर्म-क्षमा, मुक्ति (निर्लोभता), आर्जव (सरलता), मार्दव (नम्रता) लाघव (लघुता), सत्य, संयम, तप, ज्ञान और ब्रह्मचर्य। 17 प्रकार का संयम-पंच आस्रव से निवृत्ति (हिंसा, असत्य, चोरी, मैथुन, परिग्रह) पंच इन्द्रिय संयम, (वश करे),4 कषाय का निग्रह 3 तीन दण्ड से मुक्त = 17 प्रकार का संयम, अथवा पृथ्वी, अप, तेजस्, वायु और वनस्पतिकाय, बेइंद्रिय, तेइन्द्रिय, चौरिंद्रिय, पंचेंद्रिय, अजीवकाय, प्रेक्षा, उपेक्षा, प्रमार्जना, प्रतिष्ठापनिका, मन, वचन और काया का संयम। इस प्रकार 17 प्रकार का संयम करें। 10 प्रकार का वैयावृत्य (सेवा)-आचार्य, उपाध्याय, तपस्वी, नवदीक्षित, ग्लान (रोगी), स्थविर, स्वधर्मी, कुल, गण, संघ इन दस का वैयावृत्य करें। 9. ब्रह्मचर्य की वाड का पालन 3. ज्ञान, दर्शन और चारित्र रत्न इस प्रकार इन 70 भेदों का पालन उपाध्याय प्रवर करते हैं।
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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