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________________ (194) अथवा 'अधि' यानि कुबुद्धि की आय-लाभ वह आध्याय। अथवा अध्याय यानि दुर्ध्यान। यह 'आध्याय' तथा 'अध्याय' को जिसने उपहत किया है अथवा हनन किया है वह उपाध्याय कहलाते है। (6) अथवा उपाधेरायो येभ्यस्ते उपाध्याय :-जिनके द्वारा उपाधि (शुभ विशेषणादि युक्त पदवी) की प्राप्ति होती है, वे उपाध्याय हैं। (7) अथवा उपहन्यते आधेर्मानस्या व्यथाया आयः प्राप्तियैस्ते उपाध्यायाः। यद्वा उपहन्यते अधियः कुबुद्धेरायः प्राप्तिर्यैस्ते उपाध्यायाः यद्वा उपहन्यते अध्यायो दुर्ध्यानं यैस्ते उपाध्यायाः२ अर्थात् जिनके द्वारा मानसिक पीड़ा, कुबुद्धि और दुर्ध्यान का नाश होता है। इस प्रकार उपर्युक्त नियुक्तियों व्युत्पत्तियों से उपाध्याय पद का अर्थ यह निकलता है कि जिनके समीप में शिष्यादि द्वादशांग सूत्र-शास्त्रों का अध्ययन करे, स्वाध्याय करण में उपयुक्त, पाप का परिवर्जन करने वाले, ध्यान के उपयोग में तल्लीन, कर्म का विनाश करने में उद्यमी, निरन्तर जिनाज्ञा के प्रतिपालक अगण्य गुणों से विभूषित उपाध्याय होते हैं। उपाध्याय के पर्याय उपाध्याय परमेष्ठी की अन्य पर्यायें हैं-वाचक, पाठक, अध्यापक, श्रुतवृद्ध, शिक्षक, स्थविर, अप्रमादी, सदा निर्विषादी, अद्वयानंदी उपाध्याय के प्रकार विशेषावश्यक भाष्य में उपाध्याय के चार प्रकार वर्णित है - 1. नाम उपाध्याय 2. स्थापना उपाध्याय 3. द्रव्य उपाध्याय 4. भाव उपाध्याय। 1. नाम उपाध्याय-जिसका नाम ही उपाध्याय हो, वह नाम उपाध्याय है। 2. स्थापना उपाध्याय-उपाध्याय के आकार को किसी वस्तु में स्थापित किया गया हो, वह स्थापना उपाध्याय। 3. द्रव्य उपाध्याय-लौकिक शिल्पादि का उपदेश करने वाले तथा स्वधर्म का उपदेश करने वाले अन्य दर्शनी और तद्व्यतिरिक्त द्रव्य उपाध्याय कहलाते हैं। 1. (नमस्कार महामंत्र पृ. 10) 2. (वही.) 3. नमस्कार महामंत्र-मुनि श्री भद्रंकर विजयजी म. सा. पृ. 187 4. विशेषा. भाष्य भाग-२ गा. 3196-297
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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