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________________ (141) भारतीय दर्शन के सभी सम्प्रदाय-बहुतत्त्ववाद, द्वैतवाद, एकतत्त्ववाद और परमवाद सभी का लक्ष्य एक है। बहुल रंगी गायों में भी दूध का रंग एक है। उसी प्रकार दार्शनिक भिन्नता होने पर भी अन्तिम साध्य सब का एक ही है, वह है मोक्ष प्राप्ति। __ मोक्ष दायक ज्ञान का स्वरूप भिन्न हो सकता है, यह उस दर्शन की तत्त्व मीमांसा पर निर्भर करता है। वस्तुतः मोक्ष ज्ञान परमतत्त्व का ज्ञान है, परन्तु व्यक्तिगत रूप से वह जीव के स्वयं के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान है। संक्षेप में आत्मा का परमतत्त्व के साथ किसी दर्शन में जो संबंध है, उसी संबंध का ज्ञान मोक्ष प्रदान करता है। व्यक्ति निष्ठ दृष्टि से यही आत्मज्ञान होता है। अब हम भारतीय दर्शन के विभिन्न सम्प्रदायों में मोक्ष का स्वरूप तथा उसके प्राप्त करने के साधनों पर विचार करेंगे। (अ) वैदिक (वेद-ब्राह्मण-आरण्यक-उपनिषद् में) मुक्ति __ज्ञान के विकासक्रम के आधार पर चारों ही वेदों में मुक्ति प्रतिपादक मन्त्र, सूक्त, ऋचाएँ बहुलता से दृष्टिगत होती है। सर्वप्रथम ऋग्वेद में हम इसका प्रतिपादन देखेंगे____ ऋग्वेद में ऋषिगण परमात्मा से मुक्ति हेतु प्रार्थना करते हैं-हे परमात्मा आप हमें मृत्यु के बंधन से उसी प्रकार मुक्त कीजिए, जिस प्रकार ककड़ी का फल बन्धन से मुक्त होकर वृन्त से अलग हो जाता है। परन्तु हमें सदा अमर बनाए रहने वाले मोक्ष से विमुक्त मत कीजिये। इसी प्रकार का मंत्र यजुर्वेद में भी है।रे / पुन:कथन है कि सबके उत्पादक एवं प्रेरक उन देवाधिदेव परमात्मा का साक्षात्कार करते हुए हम सब लोग श्रेष्ठ ज्योति परमपद को प्राप्त हों। अपने ही अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार ही जीव को सुख:दुख आदि की प्राप्ति होती है। अंत में ज्ञान के द्वारा दुःखों से छुटकारा पाना ही वास्तविक मुक्ति या मोक्ष 1. ऋग्वेद 7.59.12 2. यजुर्वेद-३.६० 3. ऋग्वेद-१.५०.१० 4. वही 10.88.15
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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