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________________ (121) 2.ईषत्प्राग्भारा इसका अर्थ है अल्पभारवाली। यह पृथ्वी रत्नप्रभा आदि अन्य पृथ्वियों की अपेक्षा अल्प भारवाली होने से इसे ईषत्प्राग्भारा कहा गया है। आगमों में यही नाम अधिक प्रयुक्त हुआ है। 3. तनु ____ तनु से तात्पर्य है पतली। इसको तनु इसीलिए कहा गया है कि यह पतली है। 4. तनुतनु अर्थात् अत्यन्त पतली। यह पृथ्विी परिधि के किनारे पर अत्यन्त पतली है, जिसकी उपमा दी गई है कि यह मक्खी के पंख से भी पतली है। 5. सिद्धि __ आत्मा के प्रयोजनों की सिद्धि हो जाने से उपचार से इसको सिद्धि भी कहा गया है। वास्तव में सिद्धि तो आत्मा की होती है, जो कि सर्वकर्मक्षयजन्य है। यद्यपि सिद्धों का स्थान यह है इसलिए इसे सिद्धि भी कहा गया है। 6. सिद्धालय ____ आलय से तात्पर्य है स्थान। सिद्धों का स्थान होने से, इसे सिद्धालय भी कहा गया। 7. मुक्ति ___ आत्मा की कर्मों से मुक्ति हो जाती है। मुक्त-आत्माओं का प्रतिष्ठान होने से इसे मुक्ति भी कहा गया। 8. मुक्तालय पूर्वोक्त सिद्धालय की भांति ही इसे मुक्तालय भी कहा गया है। 9. लोकाग्र यह स्थान समस्त चौदह राज लोक के अग्रभाग पर होने से इसे लोकाग्र के नाम से भी जाना जाता है। 10. लोकाग्रस्तूपिका यह स्थान लोकाग्र में स्तूप के समान दृष्टिगत होता है, अतः इसे लोकाग्रस्तूपिका कहा गया।
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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