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________________ ( 202) पूरण रत्न नवे नव वरसे, माघसुदि एकादशी दिवसे / मेटे हम बहु भावे रे, हाँ मोरा दीनदयालू हाँ हाँ हाँ वा०६ वासुपूज्यजी मिले प्रभु प्यारा, राजेन्द्रसूरि ज्ञान भंडारा / यतीन्द्र हर्ष सवाया रे, हाँ मोरा दीनदयालू हाँ हाँ हाँ वा०७ भूवडमंडन-श्रीअजितनाथजिन-स्तवनम् / . देशी-जय जय.. नमो नमो श्रीजिन अजितप्रभु के, चरणे नमो नमो / टेर॥ नगरी अयोध्या है अति भारी, जितशत्रु तिहाँ है बल धारी / विजयादे तस राणी दुलारी // नमो० // 1 // विजया कुंखे चव कर आया, भविष्य प्रबल की है बड माया / शुभ समये प्रभु जन्म जी पाया ॥नमो० // 2 // घर घर मंगल गीत गवाते, जन्मोत्सव सुर करने आते / इक शत अठ अभिषेक कराते ॥नमो० // 3 // अजितप्रभु का नाम थपाया, सुर नर मिल प्रभु को हुलराया। इन्द्राणी मिल नाच नचाया // नमो० // 4 //
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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