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________________ ( 14 ) समय अनुकूल नहीं है, चातुर्मास के भी दिन समीप हैं और कतिपय सामाजिक अनिवार्य कारणों के सबब से हम इस महायात्रा का लाभ अभी नहीं ले सकते / इस साल का चोमासा उपाध्यायजी श्रीयतीन्द्रविजयजी का सिद्धक्षेत्र-श्रीपालीताणा में होगा / अतएव अगर तुम्हारी भावना ही है, तो श्रीभद्रेश्वरतीर्थयात्रा का संघ पालीताणा से निकालना / चातुर्मास बाद मुनिश्रीयतीन्द्रविजयजी को तुम्हारे संघ में जाने का आदेश दिया गया है।' इस प्रकार पालीताणा से भद्रेश्वर का संघ निकालने का निश्चय होने बाद, सं० 1990 ज्येष्ठवदि 11 के दिन प्रातःकाल में आचार्य महाराज के साथ ही प्राचीनतीर्थ श्रीजीरावलीपार्श्वनाथ की यात्रा के लिये हमारा विहार हुआ और जीरावली पार्श्वनाथ से ज्येष्ठसुदि 2 के दिन सूरिजी की आज्ञा से श्रीपालीताणा तरफ विहार हुआ / वस, इसी विहार के दरमियान रास्ते में आये हुए छोटे बडे गाँवों का प्राचीनअर्वाचीन हाल, उनमें श्वेताम्बर जैनों की घरसंख्या, जिनमन्दिर, धर्मशाला, उपाश्रय की संख्या, उनके प्रशस्ति और शिलालेख इस भाग में दर्ज किये जाते हैं। अन्त में प्रथम परिशिष्ट तरीके 'कच्छ-भद्रेश्वरतीर्थयात्रा लघुसंघ' का ऐतिहासिक वर्णन भी सन्दर्भित है। 1 मोटा-गाम___ यह गाँव मांगुनदी के बायें तट पर आबाद है / इसमें वीशा ओशवाल श्वेताम्बर जैनों के 100 घर हैं,
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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