SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( 159 ) कारों के 50 घर हैं, जो सत्संगी और धर्मप्रेमी हैं। इस में जैनों के दो घर हैं, जो साधु-साध्वियों के पूर्णभक्त हैं और यहाँ ठहरने के लिये ठाकुर का मठ है। 57 परमारनी टीकर___ मूली तालुके का यह गाँव है, जिसमें सरकारी स्कूल और पोस्ट ऑफिस भी है। यहाँ जैनों के 12 घर हैं, जो प्रायः स्थानकवासी हैं / एक उपासरा और एक गृहमन्दिर है, जिसमें श्रीसुमतिनाथ की धातुमय पंचतीर्थी विराजमान है। 58 मूली पूर्वकाठियावाड एजंसी के ताबे मूली संस्थान की राज्यगादी का यह मुख्य शहर है / इससे दो माइल दूर मूलीरोड नामका रेल्वेस्टेशन है और शहर में सर्वत्र पक्की सडक है। यह भोगावा (उमयारी) नदी के दहिने तट पर आबाद है और इसकी जनसंख्या 6000 मनुष्यों की है। गाँव के किनारे पर भोगावा के पास स्वामिनारायण का देवल और धर्मशाला है, जिसमें स्वामिनारायण पंथ के भोजनानंदी 75 साधु पडे रहते हैं, जिनकी लीला व्यमिचार पूर्ण है। वीसा श्रीमाली 25, दशा श्रीमाली 20, एवं, 45 घर मंदिरमार्गी जैन और 55 घर स्थानकवासी जैनों
SR No.023536
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1935
Total Pages222
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy