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________________ ( 272) समय में सुवर्णगिरि के रहनेवाले संघपति गुणधर, ठाकुर-श्राम्बड का पुत्र ठाकुर-जसा, उसका पुत्र सोनी महणसिंह, उसकी प्रथम श्री माल्हणि के पुत्र रतनसिंह, णाखो, माल्हण और गजसिंह, द्वितीय स्त्री तिहणा के पुत्र नरपति, जयता और विजयपाल / नरपति की प्रथम स्त्री नायकदेवी के पुत्र लखमीधर, भुक्णपाल और सुहडपाल, द्वितीय स्त्री जाल्हणदेवीं; इत्यादि कुटुम्ब सहित स्वस्त्री नायकदेवी के स्मरणार्थ श्रीपार्श्वनाथ के मन्दिर में पंचमी के दिन पूजा के निमित्त नरपतिने बाहर गाँव भेजे जानेवाले मालको रखने की दुकान अर्पण की। उसके भाडे से श्रीपार्श्वनाथस्वामी के गोठियों को प्रतिवर्ष प्राचन्द्रार्क पर्यन्त पंचमी (ज्ञानपंचमी) के दिन पूजा करना चाहिये।" पृ० 181 . . नरपति की बंश परम्परा ठाकुर-आम्बड़ जसा सोनी महणसिंह 1 स्त्री माल्हणि 2 स्त्री तिहणा रतनसिंह, णाखो, माल्हण, गजसिंह, नरपति, जयता, विजयपाल, ..... 1 नायकदेवी 2. जाल्हणदेवी जखमीधर भुवणयाल : सुहड़पाल .
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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