________________ (266) दिनाथ का बिम्ब कराया / वीसापोरवाड़ मनासुत सूरतिंग, त. त्पुत्र चमना टेकचंदने अपने पिता के सहित आहोर नगर में अंजनशलाका कराई और श्रीसौधर्मबृहत्तपागच्छीय भट्टारक श्रीविजयरत्नसूरि, तत्पट्टे क्षमासूरि, त० देवेन्द्रसूरि त० कल्याणसूरि, त० प्रमोदसूरि, तत्पट्टप्रभावक क्रियोद्धारकर्ता भट्टारक श्रीविजयराजेन्द्रसूरिजीने अंजनशलाका की / यह लेख मोहनविजयजीने लिखा।” पृ० 167 14 जालोर (16) 1-" विक्रम संवत 1933 माघसुदि 1 सोमवार के दिन जालोरगढ के ऊपर तेज से सूर्य के समान और शत्रुओं को खंडन करनेवाले श्रीयशवंतसिंहजी के शासनकाल में और धर्मी तथा बलवान् विजयसिंह किलादार के समय में श्रीसंधने जीणोंद्धार कराया. 1-3 चोमुख मन्दिर और पार्श्वनाथ के मन्दिर की प्रतिष्ठा महाराज श्रीगजेन्द्रसूरिजीने की और चोधरी कानूगा निहालचंद ओसवाल के पुत्र प्रतापमल्लने प्रतिमाएँ स्थापन की। " 4-5 ____ श्रीऋषभदेव भगवान के प्रसाद से यह प्रशस्ति-लेख लिखा गया / " पृ० 175 (20) __2-" जिसके स्कन्ध पर महिषशृंग के समान अति श्याम केशों का समूह मानो नमस्कार करनेवाले भक्तजनों को मोक्षमन्दिर में प्रवेश करने के लिये मांगलिक माला के सदृश विलास