________________ (216 ) सर्वानित्थं भविना पार्थिवेन्द्रान , भूयो भूयो याचते रामचन्द्रः / सामान्योऽयं धर्मसेतुर्नृपाणां, काले काले पालनीयो भवद्भिः।२। अस्मद्वंशसमुत्पनो धन्यः कोऽपि भविष्यति / तस्याहं करसंलग्नो, न लोप्यं मम शासनम् // 3 // अमावास्यां पुण्यतिथि भांडप्रज्वालनं च पौर्विकैः कुंभकारैश्च नो कार्य / तासु तिथिष्ववज्ञा विभयः प्राणिवधं कुरुते तस्य शिक्षापनां दबिद्र४चत्वारि। नदूलपुरवासी प्राग्वाटवंशजः शुभं कर्णाभिधानः सुश्रावक साधुधार्मिकः तत्सुतौ इह हि योनौ जातौ पूतिगसालिगौ ताभ्यां कृपापराभ्यां प्राणिनामर्थे विज्ञप्य शासनं कारापितं / स्वहस्तः श्रीपूनपाक्षदेवस्य लिखितमिदं पारि० लक्ष्मीधरसुत ठ० जसपालेन प्रमाणमिति / यह फरमान-पत्र परमाहत राजा कुमारपाल के राज्य समय में जैनमहाजन और विशेष करके नाडोल के रहनेवाले पूतिग सालिग दोनों भाइयों के प्रयत्न से जारी किया गया था / इससे उस समय यहां के राजाओं की जैनियों के साथ कितनी उदारता थी, इस बात का भी पता मले प्रकार लग सकता है। किसी समय यह नगर अपनी जैनसमृद्धि और धनसमृद्धि से इतर नगरों से किसी प्रकार कम नहीं था / परन्तु कालदोष से आज यहाँ तीस घरो से अधिक वसति नहीं रही / जैन घरों की आबादी से तो यह नगर हाथ ही धो बैठा है / अपसोस है कि जहाँ अमरपुरी के समान अद्वितीय शोभा विलास करती थी, वहाँ आज कुछ भी दिखाई नहीं देता, यह सब काल कराल का कोप नहीं तो और क्या है ?