________________ (142) श्रीराजेन्द्रजैनागमज्ञान-भंडार है। इसमें हस्त-लिखित प्राचीन-अर्वाचीन ग्रन्थों के 260 बिंडल हैं, जिन में कागज पर लिखी हुई 3526 प्रतियाँ हैं और मुद्रित पुस्तकों के 127 बिंडल हैं, जिनमें छपी हुई 1166 पुस्तकें हैं। इनमें संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंस और गुजराती भाषा में पागम, व्याकरण, न्याय, तर्क, काव्य, कोश, छन्द, अलंकार आदि सभी विषयों के मन्थ संग्रहित हैं। यह जैनाचार्य श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का संग्रह किया हुआ है, और इसमें कई ग्रन्थ बड़े महत्व के हैं। मारवाड़ में जेसलमेर और बीकानेर को छोड़ कर सायद ही कोई ऐसा ज्ञानभण्डार होगा, जो इसकी समानता रख सकता हो / 120 घरली-- जोधपुर रियासत के जालोर परगने में एरनपुरारोड से 25 मील के फासले पर पश्चिम तरफ बसा हुआ यह छोटा गाँव है। यहाँ श्वेताम्बर-मूर्तिपूजक जैनों के 25 घर, एक छोटी धर्मशाला और एक शिखरबद्ध प्राचीन समय का बना जिन-मन्दिर है / मन्दिर में मूलनायक श्रीपार्श्वनाथ भगवान की 2 // हाथ बड़ी सफेद वर्ण की भव्य-मूर्ति बिराजमान है। इसके बाह्म मंडप में तीन तीन हाथ बडे दो काउसगिये (खडे आकार की मूर्तियाँ ) हैं / ये सभी विक्रम की तेरहवीं शताब्दी की प्रतिष्ठित हैं और इनके प्रतिष्ठाकार पंडेक गच्छ कै कोई आचार्य हैं / कहा जाता है कि पेश्तर यह बडी नगरी थी। इसके प्रमाण-भूत यहाँ के प्राचीन ईटे और पत्थर हैं, जो जमीन से निकलते हैं / यहाँ