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________________ ( 129) एक छोटी धर्मशाला में दो कायोत्सर्गस्थ मूर्ति योंही पड़ी हैं, जो प्राचीन और कहीं से लाकर यहाँ रख दी गई हैं / 116 आकोली जोधपुरस्टेट के जालोर परगने में बाकरा ठाकुर का यह छोटा गाँव है, जो आबू से निकली हुई खारी नदी के किनारे पर बसा हुआ है। इस में त्रिस्तुतिक श्वेताम्बर जैनों के 80 घर, एक उपासरा, एक बड़ी धर्मशाला और एक शिखरबद्ध जिनमन्दिर है / मन्दिर में मूलनायक भगवान् श्रीआदिनाथ की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है, जो एक किसान के खेत को खणते हुए निकली है। इसके साथ ही चार मूर्यित्ताँ और भी निकली थीं, जो इसी मन्दिर में बिराजमान हैं। जिनमन्दिर में प्रतिष्ठा-महोत्सव के समय इस . प्रकार शिला-लेख लगाया गया है___“ ॐ नमोऽहद्भ्यः / श्रीसौधर्मबृहत्तपागच्छीय श्री 1008 श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के उपदेश से आकोली नगर के जैनश्वेताम्बर संघने यह सौधशिखरी-मन्दिर बनवाया। इस में प्रातःस्मरणीय श्रीविजयधनचन्द्रसूरिजी महाराज के पट्टप्रभावक श्रीमद्विजय-भूपेन्द्रसूरिजी महाराज के पास मुनि श्रीयतीन्द्रविजयजी के प्रबन्ध से सं० 1984 वैशाख सुदि 5 . शुक्रवार के दिन महामहोत्सव सह प्रतिष्ठा कराके मूलनायकजी . श्री आदिनाथ, श्रीपार्श्वनाथ, श्रीशान्तिनाथ, श्रीसुपार्श्वनाथ, .
SR No.023534
Book TitleYatindravihar Digdarshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSaudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1925
Total Pages318
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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