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________________ (472) कोई चीन रखना, अप्रत्यवेक्षितनिक्षेपाधिकरण है। २-पूंजे विना जगह पर उन्मत्त की तरह पदार्थ को रखना दुष्पामार्जितनिक्षेपाधिकरण है / ३-पाट, चौकी आदि पदार्थों पर जीवादि का विचार किये विना ही एकदम किसी चीनको फैंक देना या रख देना, सहसानिक्षेपाधिकरण है। और ४-उपयोग रहित पदार्थ रखना अनाभोगनिक्षेपाधिकरण है। तीसरे संयोगाधिकरण के दो भेद हैं। १-जैसे दुग्ध में शक्कर मिलाई जाती है इसीतरह भोजनादि अन्य वस्तुओं में स्वाद के लिए, दूसरे पदार्थ मिलाना अन्नपानसंयोजनाधिकरण है। २-वस्त्रादि में रंगबिरंगी गोटा, किनारी लगाने से, चंदोवाकी तरह एक वस्त्र में दूसरे वस्त्र को जोड़ने से जैसे अधिक सुंदरता आती है, वैसे ही दंड और पात्रादि में रंग लगाना, उपकरणाधिकरण है। चोथे निसर्गाधिकरण के तीन भेद हैं। १-प्रमत्तत्ता के साथ शरीर को अयतना पूर्वक छटा रखना कायनिसर्गाधिकरण है / २-वचन को नियम में न रखना वचननिसर्गाधिकरण है और मन को वश में नहीं रखना मननिसर्गाधिकरण है / इसतरह पहिले के दो, दूसरे के चार, तीसरे के दो और चौथे के तीन इसतरह कुल 11 भेद अजीवाधिकरण आस्रव के हुए / इसतरह प्रसंगवंश आस्रव के भेद प्रभेद बताये गये। अब यहाँ यह बताना जरूरी है कि आठ कर्मों में से कौन कौनसे कर्म के लिए कौनसे आस्रव आते हैं।
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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