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________________ सेठ गोडीदासजी जैसे धर्मात्मा, व्यवहार कुशल, दानवीर एवं सद्गुणी महानुभाव के जीवन संबंध में उपसंहार. जितना लिखा जाय, उतना कम है। परन्तु इस संक्षिप्त परिचय में कितना लिखा जा सकता है / इस संक्षिप्त परिचय में भी पाठक समझ सकते हैं कि इस पंचम काल में, जड़वाद के जमाने में, बीसवी शताब्दि के जहरीले वातावरण में भी, एक गर्भ श्रीमंत-मौज-शोख और सांसारिक प्रलोभनों की संपूर्ण सामग्रियों के रहते हुए भी, अपने जीवन को धार्मिक भावनाओं और धार्मिक क्रियाकांडों से ओतप्रोत बनाने और रखनेवाले महानुभाव होते हैं। सच्ची बात है भी यह कि-मनुष्य को अपना जीवन ऐसा बनाना चाहिये जिससे दूसरों को आदर्श रूप हो / ऐसा पवित्र जीवन रखनेवाले मनुष्यने ही इस संसार में आ करके कुछ कमाया है / और ऐसा पवित्र जीवन बनाने के लिये ऐसे पवित्र पुरुषों के जीवनों को पढ़ना और अपना आदर्श बनाना चाहिए। इसके लिये किसी कवि की निम्नलिखित पंक्तियों पर पाठकों का ध्यान आकर्षित कर, सेठ गोडीदासजी के संक्षिप्त जीवन परिचय को यहाँ ही समाप्त करता हूं: जीवनचरित्र महापुरुषों के, हमें नसीहत करते हैं:
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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