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________________ (131) दृढ प्रतिज्ञा के कहीं दर्शन नहीं होते / प्रतिज्ञा लेकर उसको पूर्णतया पालन करनेवाले यदि कोई साधु हैं तो वे जैन ही हैं। पाठकों को उनके आचार विचार का वर्णन कई स्थानों पर आगे पढने को मिलेगा। ___इस बात को प्रत्येक स्वीकार करेगा कि धर्म परिणामों में है। कपड़ों में नही हैं / तो भी कपड़े उपयोगी हैं। ये चारित्र की रक्षा के लिए दुर्ग का काम देते हैं। जैसे राजा दुर्ग के विना अपने नगर की रक्षा नहीं कर सकता है उसी तरह मुनि भी वेष के विना अपने आचार को भली प्रकार से नहीं पाल सकता है। कई जीवों का, मुनिवेष धारण किये विना भी कल्याण हुआ है। परन्तु वह राजमार्ग नहीं है। मुनिवेष कल्याण का राजमार्ग है / इस लिए कहा है कि:___ " हे सन्तो ! मायाजाल को छोड़ दो। उसकी जरासी भी गाँठ न रक्खो। चिन्त को शान्त रक्खो। इन्द्रियों के व्यूह को धर्म की साधना के काम में लाओ / मान-अभिमान-मद को तोड़ डालो / भगवान के सामने हाथ जोड़ कर खड़े हो जाओ। फिर मोक्ष के प्रति दौड़ जाओ / कल्याण होने में अब थोड़ी ही देर रह गई है।" . जगत में मायावी पुरुषों के विद्या, विवेक, विनय आदि सद्गुण सब निष्फल जाते हैं। इतना ही नहीं मायावी मनुष्य
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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