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________________ (5) ___ आप प्रतिदिन 14 नियम चितारते / रात्रि को चौविहार करते / प्रातःकाल कमसे कम पोरसी, साढ पोरसी का पचक्खाण करते / प्रभुपुना किये विना भोजन नहीं करते / बारह तिथियों को कमसे कम एकाशन-बियाशन, एवं अष्टमी चतुर्दशी को आयंबिल-उपवासादि की तपस्या करते / चातुर्मास में गरम जल पीते और विशेष प्रकार से तपस्यादि धर्मक्रियाएं करते / प्रतिदिन इस प्रकार की धार्मिक क्रियाएं और धार्मिक वृत्तियों के साथ व्यवहार का पालन करते हुए सेठ गोडीदासनीने लाखों पैदा किये, और हनारों धर्मकार्यों में खर्चे / सच्ची बात यह है कि जो मनुष्य सच्ची श्रद्धापूर्वक, धार्मिक जीवन रखते हुए व्यवहार को सम्हालता है, उस को मिलता ही है। सुख का सच्चा कारण तो संतोष है / न कि दुनियाभर की हाय हाय - लोभवृत्ति ! सेठ गोडीदासनी को खास एक नियम था, वह यह कि __ प्रतिवर्ष एक तीर्थयात्रा अवश्य करना / तीर्थयात्राएं। इस नियम को आप बराबर पालन करते रहे / और इसी नियमसे आपने सम्मेतशिखर, बड़ी पंचतीर्थी, सिद्धाचल, विठुरा में गोडी पार्श्वनाथ की यात्रा, काठियावाड की पंचतीर्थी, सिद्धाचलनी की नवाणु यात्रा, केशरियानी, अंतरीक्ष पार्श्वनाथ, भांडकतीर्थ, मक्सीजी वगैरह
SR No.023533
Book TitleDharm Deshna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaydharmsuri
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1932
Total Pages578
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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