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________________ (34) सेठियाजेनग्रन्थमाला ___30 आपत्ति निवारण करने के लिए धन बचाना चाहिए, धन से भी स्त्री की रक्षा करनी चाहिए, स्त्री और धन से भी हमेशा , अपनी रक्षा करनी चाहिए। 31 जिस देश में न आदर न जीविका न बन्धु और न विद्या का लाभ हो, वहां निवास न करना चाहिए। 32 धनवान् , धर्म के उपदेशक राजा, जलाशय, और वैद्य, ये पांच जहां नहीं हैं, वहां एक दिन भी नहीं रहना चाहिए / 33 जीविका, अनीति का भय, लज्जा, कुशलता, दानशीलता, ये पांच जहां नहीं हैं, वहां के लोगों के साथ सङ्गति न करनी चाहिए / 34 काम पड़ने पर नौकर की, दुःख आने पर बन्धुनों की, विपत्ति काल में मित्र की, और विभव का नाश होने पर स्त्री की परीक्षा होती है। 35 वही बन्धु है, जो रोग माने पर दुःख प्राप्त होने पर दुर्भिक्ष (दुष्काल) पड़ने पर, शत्रुओं से संकट आने पर, राजद्वार (कचहरी) में और श्मशान में साथ देता है / ___36 जो निश्चित वस्तु को छोड़कर अनिश्चित की मोर दौड़ता है, उसकी निश्चित वस्तु का नाश होता है और भनिश्चित तो नष्ट सी ही है। 37 बुद्धिमान् उत्तमकुल की कन्या के साथ ब्याह करे, चाहे
SR No.023531
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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