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________________ मानकी. नव समाज को जैसे भोजन की आवश्यकता होती है, वैसे ही नैतिक और व्यावहारिक ज्ञान PARENT की भी आवश्यकता है / व्याकरण से शब्द और अर्थ का ज्ञान होता है, न्याय (तर्क) शास्त्र से पदार्थों का स्वरूप-शान होता है, धर्मशास्त्र से संसार की असारता, शरीर की नश्वरता और सांसारिक सुख की क्षणभंगुरता का ज्ञान होता है, किन्तु मनुष्य को संसार में कार्यव्यवहार तथा सुख और सभ्यता पूर्वक जीवन निर्वाह का मार्ग दिखाने वाला केवल 'नीतिशास्त्र' है / नीति और व्यवहार सम्बन्धी ज्ञान विद्याओं से नहीं हो सकता-- जो कि अत्यन्त आवश्यक है। ____ संस्कृत-साहित्य-भंडार ऐसे ग्रन्थरत्नों से परिपूर्ण है, तथापि सर्व साधारण हिन्दी के पाठक उनका अमृतमय रस का प्रास्वादन नहीं कर सकते, इसलिये हमने उन ग्रन्थों से तथा समाचार पत्रों और इतर भाषा की पुस्तकों से सर्वोपयोगी नैतिक और व्यावहारिक शिक्षाओं का संग्रह कर स्व और परके हितार्थ प्रकाशन करने का कार्य हाथ में लिया है। हिन्दी भाषा में ऐसी पुस्तकों का प्रभाव सा है और जो कुछ इनी गिनी हैं भी, उनका मूल्य अत्यधिक होने से प्रत्येक व्यक्ति उनसे लाभ नहीं उठा सकते,- वे इस उपयोगी ज्ञान से वञ्चित रहते हैं। अतएव हमने लागत से भी कम मूल्य पर निकालना श्रावश्यक समझा है / इस 'नीति-शिक्षा-संग्रह' के दो भाग हैं, उन में से पहला भाग आपके हाथ में हैं, इसमें कुल 616 शिक्षाएँ है। दूल भाग छप रहा है।
SR No.023531
Book TitleNiti Shiksha Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBherodan Jethmal Sethiya
PublisherBherodan Jethmal Sethiya
Publication Year1927
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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