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________________ ( ७७ ) छट्टो, सातमो ने आठमो ज्ञानाचार. [ व्यंजन, अर्थ अने ते बन्ने] वळी श्रुत ज्ञानना अर्थीए व्यंजन ( अक्षर ) अने अर्थ तथा बन्नेवडे शुद्ध एवा सूत्रनो अभ्यास करवो. तेमां व्यंजन एटले अक्षर . अक्षरने अन्यथा करवामां तथा न्यूनाधिक करवामां अशुद्ध थवाने लीधे अनेक महादोषो, महा आशातनाओ अने सर्वज्ञनी आज्ञानो भंग विगेरे दोषो प्राप्त थाय छे. केमके व्यंजननो भेद (फेरफार) थवाथी अर्थनो भेद थाय छे, अर्थनो भेद थवाथी क्रियानो भेद थाय छे, क्रियानो भेद थवाथी मोक्षनो अभाव थाय छे, अने मोक्षनो अभाव थवाथी साधु तथा श्रावकने धर्मनुं आराधन, तपस्या, उपसर्गनुं सहन करवुं, ए विगेरे कष्ट - साध्य क्रियाओ पण निरर्थक थाय छे. तेमां सूत्रनुं अन्यथापणं करं. एटले प्राकृतने बदले संस्कृत करवुं ते, जेम " धर्मो मंगळमुत्कृष्टं (धर्म उत्कृष्ट मंगळरूप छे ) ?" अथवा तेना पदोने उलट सुलट बोलवां, जेमके “ पुण्णोकलाणमुक्कोसं ३. अथवा सूत्रमांना एक अक्षरने बदले बीजो अक्षर करवो, जेमके " धम्मो " ए धकारने स्थाने ककार विगेरे कोइ पण अक्षर बोलवो. ४. अथवा वर्णोने उलटा (छेलेथी ) बोलवा, जेमके "देवावि" ने बदले “विवादे" एम बोलवु ५. एज प्रमाणे अर्थने तथा व्यंजन अने अर्थ ए बन्नेने अन्यथा करवामां तथा न्यूनाधिक करवामां दोषो जाणी ठेवा. तेमां व्यंजनने अन्यथा करवामां " चैत्यवंदनादिक सूत्रो प्राकृत भाषामां छे, तेने हुं संस्कृत भाषा -
SR No.023524
Book TitleGyanpanchami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManek Bahen
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1914
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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